Opposition Meet In Patna: बिहार के मुख्यमंत्री पिछले कुछ समय से देश भर में घूम रहे हैं, अलग-अलग राज्यों में नेताओं से मिल रहे हैं. सिंगल प्वाइंट एजेंडा है- 2024 में पीएम मोदी का रथ रोकने के लिए विपक्ष को एकजुट करना. नीतीश कुमार के मिशन का आज शुक्रवार (23 जून) को पटना में टेस्ट होने जा रहा है. नीतीश कुमार के बुलावे पर शुक्रवार को विपक्षी दलों की महाबैठक हो रही है.
पटना के एक अणे मार्ग पर हो रही बैठक में जेडीयू और आरजेडी के अलावा 15 दूसरे दलों के नेता शामिल हुए हैं. इस बैठक में विपक्ष के लिए कॉमन मिनिमम प्रोग्राम, 450 सीटों पर साझा उम्मीदवार, जांच एजेंसियों के दुरुपयोग और मणिपुर हिंसा को लेकर चर्चा होनी है.
कौन-कौन से नेता हो रहे शामिल ?
- जेडीयू- नीतीश कुमार
- आरजेडी- तेजस्वी यादव
- कांग्रेस- राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे
- एनसीपी- शरद पवार
- टीएमसी- ममता बनर्जी
- आम आदमी पार्टी- अरविंद केजरीवाल, भगवंत मान
- डीएमके- एम के स्टालिन
- समाजवादी पार्टी- अखिलेश यादव
- शिवसेना (यूबीटी)- उद्धव ठाकरे
- पीडीपी- महबूबा मुफ्ती
- नेशनल कॉन्फ्रेंस- उमर अब्दुल्ला
- सीपीआई- डी. राजा
- सीपीआईएम- सीताराम येचुरी
- सीपीआईएमएल- दीपांकर भट्टाचार्य
- एआईडीयूएफ- बदरुद्दीन अजमल
ये चेहरे होंगे नदारद
बैठक में कई बड़े चेहरे नदारद भी रहेंगे, उनमें बीआरएस नेता और तेलंगाना के सीएम के चंद्रशेखर राव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, आरएलडी नेता जयंत चौधरी और एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन का नाम शामिल है.
एकजुटता की राह में रोड़े
नीतीश कुमार इस बैठक के बहाने विपक्षी दलों को एकसाथ लाने की मुहिम पर लगे हैं लेकिन ये आसान नहीं है. सवाल है कि क्या विपक्षी दलों अपने आपसी मतभेदों को भुला पाएंगे. बैठक से पहले ही केंद्र के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस और आप एक दूसरे के खिलाफ बयानों के तीर चला रहे हैं. आप ने कांग्रेस पर अध्यादेश को लेकर बीजेपी के साथ समझौते का आरोप लगाया है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि विपक्ष की बैठक सौदेबाजी के लिए नहीं है.
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, पश्चिम बंगाल में कांग्रेस और टीएमसी एक दूसरे पर हमलावर हैं और पंचायत चुनाव में नामांकन को लेकर हिंसा का आरोप लगा रहे हैं. टीएमसी और सीपीएम भी एक दूसरे पर हमलावर हैं. पंजाब में भी आप और कांग्रेस आमने-सामने हैं, तो केरल में लेफ्ट बनाम कांग्रेस है.
गठबंधन से उम्मीदें
अगर इन तमाम विरोधों के बाद विपक्षी दल एक साथ आते हैं और गठबंधन होता है तो फिर 2024 में नए समीकरण बन सकते हैं. 2024 में एक बार यूपीए-3 वापसी कर सकती है. 400 से 450 सीटों पर साझा उम्मीदवार संभव है. विपक्ष का ये भी माना है कि मिलकर लड़े तो बीजेपी 100 सीट पर सिमट सकती है. वहीं, साथ नहीं आए तो 2024 का चुनाव आखिरी चुनाव साबित होगा. इसकी आशंका शिवसेना (यूबीटी) ने 23 जून के सामना के संपादकीय में जताई है.
कांग्रेस को कहां साथी की जरूरत, कहां मुकाबले में ?
फिलहाल कांग्रेस को जिन राज्यों में साथी की जरूरत है, उनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, दिल्ली और जम्मू कश्मीर शामिल है. इसके साथ ही मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पंजाब, हिमाचल प्रदेश हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, गोवा, कर्नाटक और केरल में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है.
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