नई दिल्ली: हैवानों की दरिंदगी की वजह से अपनी बेटी को खो चुकी निर्भया की मां ने आज एक बार फिर अपने दिल का दर्द बयां किया है. निर्भया की मां ने बताया कि अपनी बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए उन्होंने आठ साल की लंबी लड़ाई लड़ी है. उन्होंने कहा कि आज 16 दिसंबर है और 8 साल पूरे हो गए हैं, पर हमारे लिए तो जैसे लगता है कि 2012 या 2020 एक जैसा है.


आशा देवी ने कहा कि इंसाफ मिल गया उनको सजा हो गई लेकिन दुख तो हमेशा रहेगा. लेकिन आगे हमारी अब आज से अब दूसरी लड़ाई शुरू हो गई है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से निर्भया के लिए सब लोगों ने मिलकर आवाज उठाई समाज ने मीडिया ने निर्भया को देश की बेटी माना. मैं भी अपने देश की बच्चियों के लिए आगे यह लड़ाई जारी रखूंगी.


उन्होंने कहा कि बेटी को इंसाफ मिल गया है और चार दोषियों को फांसी हुई. साथ ही ये भी कहा कि हम आगे भी दूसरी बच्चियों के इंसाफ के लिए लड़ते रहेंगे.


आशा देवी ने कहा- कहीं ना कहीं हमारे संविधान पर सवाल उठने लगा था
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि खासकर पिछले साल जब फांसी की तारीख पड़ने लगी तो, जो हमारे कानून में कमियां थी आरोपी पक्ष के वकीलों ने कानून का दुरुपयोग किया. उन लोगों ने कानून को घुमाया तो कहीं ना कहीं हमारे संविधान पर सवाल उठने लगा था. इसके बाद भी बहुत सारी घटनाएं हुईं. यूपी में
हरियाणा में,राजस्थान में हुई. लेकिन कमियां कहां हैं हमने इस पर बात नहीं की ,ना हमारी सरकार ने की, ना हमारे नेता ने की. बहुत होता है तो कानून बना दिया जाता है.


निर्भया की मां ने जताया एबीपी न्यूज का आभार
एबीपी न्यूज से आशा देवी ने कहा कि आप समाज का चौथा स्तंभ हैं. मैं इस चैनल के माध्यम से कह रही हूं क्योंकि आप लोगों ने बहुत साथ दिया. हमें जो कमियां हैं उस पर बात करनी है, उसके लिए काम करना है. कहां पर कमी है, सरकार की कमी है, सिस्टम की कमी है. हम उस पर काम करें उसमें सुधार करें ताकि हमारी बच्चियां देश में सुरक्षित हो और और जो भी बच्चियों के साथ अन्याय हुआ है उनको न्याय मिले. उन्होंने कहा कि इस चैनल के माध्यम से मैं निर्भया को इंसाफ मिलने में मदद मिली. आप सब लोगों ने साथ दिया, मैं बहुत-बहुत धन्यवाद देती हूं.


अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है
आशा देवी ने कहा कि ऐसा तो नहीं है कि हम दिल्ली में बिल्कुल सुरक्षित हो गए हैं, लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगी कि आरोपियों को फांसी हुई है तो दिल्ली में कुछ तो जागरूकता आई है. एक हफ्ते पहले की बात है एक बच्ची मिली थी जो द्वारका के एक होटल में काम करती है. रात को उसकी छुट्टी होती है तो उसने बताया कि वो स्कूटी से आती जाती है. एक बार उसे घर जाने में लेट हो गया था और वो जैसे ही होटल से निकली तो वहां तीन चार लड़के खड़े थे. लड़के ने कुछ कमेंट किया कि तभी वहां उनका एरक और साथी आया और कहने लगा कि तुमलोग चलो यहां से अभी थोड़े समय पहले ही लटकाया है. तो कहीं ना कहीं इसका मतलब फर्क पड़ा है. लेकिन अभी बहुत कुछ करने की जरूरत है. बहुत बदलाव की जरूरत है. खासकर हमारी पुलिस व्यवस्था में हमारी कानून व्यवस्था में.


आशा देवी ने कहा कि कानून में बदलाव की बहुत जरूरत है, जो भी कानून बने हैं कहीं ना कहीं वह लागू नहीं हुए हैं. उन पर काम नहीं हो रहा है तो जो भी कानून है जो बदले गए हैं उस पर काम हो. हमारी पुलिस व्यवस्था अगर सही हो जाती है तो वह दिन दूर नहीं कि हमारी बच्चियां सुरक्षित हो जाएंगी.


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