Nirbhaya Gang Rape Case: दिल्ली में कड़कड़ाती ठंड के बीच दस साल पहले आज ही के दिन निर्भया के साथ हुई हैवानियत की घटना आज भी लोगों को अंदर से झकझोर देती है. आज भी लोग खासकर लड़कियां उस भयानक रात को याद कर सिहर जाती है. देश की राजधानी दिल्ली (Delhi)  में निर्भया गैंगरेप (Nirbhaya Gang Rape) की उस घटना ने पूरे देश को गुस्से से भर दिया था. मानवता को शर्मसार करने वाली इस वारदात को 10 साल पहले आज ही के दिन यानी 16 दिसंबर को अंजाम दिया गया था.


सामूहिक दुष्कर्म के बाद जिंदगी की जंग हार चुकी निर्भया के लिए लोगों ने सड़कों पर उतकर खूब प्रदर्शन किया. मामले की गंभीरता के चलते सरकार पर भी चौतरफा दबाव बढ़ने लगा. आखिरकार कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान सभी आरोपियों को दोषी पाया और उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई. इस घटना के दस साल बीच जाने के बाद आज भी समाज में उसी तरह की कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं. आइए उस खौफनाक रात और उसके बाद देश में क्या-क्या हुआ उससे जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में आपको बताते हैं.      


16 दिसंबर 2012 को हुई थी घटना


यह घटना आज से ठीक 10 साल पहले 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुई थी. उस रात दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी. पैरामेडिकल की पढ़ाई कर रही निर्भया अपने दोस्त के साथ एक मूवी देखकर निकली थी और घर जाने के लिए मुनीरका में बस का इंतजार करने लगी. उसी समय वहां एक सफेद रंग की बस आकर रुकती है. बस चालक निर्भया और उसके दोस्त को लिफ्ट देने के बहाने बस में चढ़ा लेता है. उस समय बस में ड्राइवर समेत छह लोग बैठे हुए थे. 


बस में सवार ड्राइवर के दोस्तों ने निर्भया और उसके दोस्त को अकेला देखकर उनके साथ बदतमीजी करना शुरू कर दिया. इसका विरोध करने पर बस में सवार लोगों ने निर्भया के दोस्त को बुरी तरह से पीटा और लड़की को खींचकर पीछे ले गए. वहां, पहले 3 लोगों ने निर्भया के साथ गैंगरेप किया. इसके बाद बाकी लोगों ने भी बारी-बारी से निर्भया को अपनी हवस का शिकार बनाया. दरिंदों का इससे भी मन नहीं भरा तो उन्होंने निर्भया के प्राइवेट पार्ट में लोहे की रॉड डालकर उसकी अंतड़ियां बाहर निकाल दी. इसके बाद हैवानों ने निर्भया और उसके दोस्त को नग्न अवस्था में चलती बस से नीचे फेंक दिया. वहां से गुजर रहे राहगीरों ने इसकी सूचना पुलिस को दी, जिसके बाद दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया और मामले की जांच शुरू की गई.   


निर्भया ने सिंगापुर में तोड़ा दम


वारदात के बाद निर्भया को सफदरजंग अस्पताल (Safdarjung Hospital) में भर्ती कराया गया. जहां डॉक्टर उसके घावों को देखकर दंग रह गए. निर्भया के शरीर में केवल 5 फीसदी आंते ही बची थीं. उसकी हालात लगातार बिगड़ती जा रही थी. इसे देखते हुए निर्भया को सरकारी खर्चे पर इलाज के लिए तुरंत सिंगापुर भेजा गया. वहां डॉक्टरों की टीम ने निर्भया को बचाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन निर्भया के शरीर और आत्म पर घाव इतने गहरे थे कि उसने आखिरकार 29 दिसंबर की रात दम तोड़ दिया.  


नाबालिग समेत 6 लोगों ने दिया वारदात को अंजाम


देश को झकझोर देने वाली इस वारदात को 6 लोगों ने मिलकर अंजाम दिया था, जिसमें एक नाबालिग भी शामिल था. इस केस में बस का ड्राइवर राम सिंह, पनव कुमार गुप्ता मुकेश सिंह, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार सिंह शामिल थे. इस मामले में नाबालिग को छोड़कर बाकी सभी पांचों आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप का मुकदमा चलाया गया. हालांकि, कोर्ट में ट्रायल के दौरान बस के ड्राइवर राम सिंह ने जेल में फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया. वहीं, बाकी बचे 4 लोगों को मामले में दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई गई. इसके बाद उन चारों को एक साथ दिल्ली की तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में फांसी पर लटका दिया गया. इस केस में शामिल नाबालिग को 3 साल सुधार बाल गृह में रखने के बाद छोड़ दिया गया. 


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