भारत में जासूसी कराने के लिए पाकिस्तान ने बड़ा फंडिंग नेटवर्क तैयार किया था. इस नेटवर्क का खुलासा तब हुआ, जब NIA ने 27 मई को CRPF के असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर मोती राम जाट को गिरफ्तार किया. उस पर आरोप है कि उसने पाकिस्तानी एजेंटों को गुप्त सूचनाएं लीक की. मामले की जांच में सामने आया कि मोती राम को अक्टूबर 2023 से अप्रैल 2025 तक करीब 1.90 लाख रुपये मिले. ये रकम सीधे उसके और उसकी पत्नी के बैंक खातों में भेजी गई थी. जमीन पर ये रकम रेमिटेंस या बिजनेस पेमेंट जैसी दिखती थी लेकिन हकीकत में ये जासूसी की फंडिंग थी...

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सूत्रों की माने तो NIA को जांच में पता चला कि ये नेटवर्क बिजनेस, ट्रैवल और मनी ट्रांसफर की आड़ में चलाया जा रहा था. ताकि किसी को शक ना हो. इसमें तीन बड़े रास्ते इस्तेमाल किए गए. पहला रास्ता दुबई का रास्ता है, जहां पाकिस्तान से कपड़े और लग्जरी सूट दुबई भेजे जाते. वहां से इनवॉइस बनाकर भारत के छोटे दुकानदारों को भेजी जाती. दुकानदार सोचते कि वे माल का पैसा दे रहे है, लेकिन उसी में से कुछ रकम जासूसी नेटवर्क तक पहुंच जाती थी. दूसरा बैंकॉक का रास्ता था, जहां थाईलैंड में बसे भारतीय कारोबारी पर्यटकों को सस्ते दाम पर विदेशी मुद्रा देते थे. बदले में नकद लेकर, उतनी ही रकम भारत में बैंक खातों के जरिए भेजी जाती थी. इस तरीके से फॉरेक्स नियम तोड़े गए और जासूसी के लिए पैसे भी भेजे गए. तीसरा रास्ता मोबाइल दुकानदारों का इस्तेमाल से जुड़ा था. दिल्ली और मुंबई के छोटे मोबाइल शॉप मालिक भी इस चेन का हिस्सा बने. ये दुकानदार नकद लेकर अपने पर्सनल अकाउंट से पैसे ट्रांसफर कर देते थे.

NIA की कार्रवाई शुरूNIA की जांच में सामने आया कि कि पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स (PIOs) ने इस पूरे नेटवर्क को खड़ा किया था. उनका मकसद था भारत में बैठे जासूसों तक सुरक्षित तरीके से पैसे पहुंचाना. ये पूरा खेल ट्रेड, ट्रैवल और रेमिटेंस के बहाने चल रहा था. हालांकि, अब मोती राम जाट की गिरफ्तारी के बाद जांच एजेंसियों ने अब इस नेटवर्क को तोड़ने के लिए और कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है.

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