गंगा नदी की निर्मलता को लेकर एक बार फिर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने उत्तर प्रदेश सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया है. एनजीटी ने सख्त रुख अपनाते हुए राज्य सरकार को गंगा और उसकी सहायक नदियों में गिरने वाले गंदे नालों की पूरी जानकारी दो सप्ताह के भीतर देने का अंतिम मौका दिया है.
एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली बेंच ने सुनवाई करते हुए पाया कि राज्य के पर्यावरण सचिव की तरफ से 30 अप्रैल को जमा की गई रिपोर्ट अधूरी और अस्पष्ट है. इस रिपोर्ट में नालों की स्थिति, उनका बहाव, वे टैप किए गए हैं या नहीं और यदि टैप किए गए हैं तो उनका जल किस सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) में जा रहा है इस बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं दी गई है. एनजीटी ने पूछा कि अगर नाले टैप नहीं किए गए हैं तो क्या उनके लिए कोई योजना बनाई गई है ? कब तक उन्हें टैप किया जाएगा? कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं. इन सवालों का कोई जवाब नहीं मिला.
10 जिलों पर खास आपत्तिएनजीटी ने विशेष रूप से 10 जिलों सोनभद्र, मऊ, भदोही, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज और प्रयागराज की अधूरी रिपोर्ट पर नाराजगी जताई. इन जिलों में गंगा और उसकी सहायक नदियों में बड़े पैमाने पर गंदा पानी जा रहा है, लेकिन ठोस कार्रवाई का कोई संकेत नहीं मिला.
राज्य सरकार ने मांगा वक्त, NGT ने दी मोहलतराज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने एनजीटी से दो सप्ताह का समय मांगा ताकि पूरी और विस्तृत रिपोर्ट पेश की जा सके. एनजीटी ने इसे मंजूर करते हुए मामले की अगली सुनवाई की तारीख 29 मई तय की है.
गंगा की सफाई वादे बहुत, अमल कमगंगा सफाई पर सरकारें वर्षों से वादे करती आई हैं, लेकिन जमीनी हालात अब भी चिंताजनक हैं. एनजीटी की यह फटकार बताती है कि अब समय सिर्फ घोषणाओं का नहीं, बल्कि ठोस कार्यवाही का है.
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