नई दिल्ली: काफी मथापच्ची और अटकलों के बाद बीजेपी संसदीय बोर्ड ने राष्ट्रपति के उम्मीदवार के तौर पर बिहार के गवर्नर राम नाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगा दी है. कोविंद को राष्ट्रपति का उम्मीदवार घोषितकर बीजेपी ने न सिर्फ लोगों को चौंकाया है, बल्कि राजनीतिक तौर पर एक तीर से कई शिकार भी किए हैं. राष्ट्रपति के चुनाव में अपने उम्मीदवार की जीत के लिए बीजेपी के पास जरूरी वोट हैं, इसलिए अब राम नाथ कोविंद का अगला राष्ट्रपति बनना तय है.


बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक के बाद बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने राम नाथ कोविंद के नाम का एलान किया. उन्होंने कोविंद के नाम का एलान करते हुए ये भी कहा कि पार्टी के फैसले की जानकारी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी दी गई है.


कोविंद के नाम के एलान पर कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि उनकी पार्टी ने अभी राष्ट्रपति के उम्मीदवार को लेकर कोई फैसला नहीं किया है और कोविंद के नाम का एलान बीजेपी का एकतरफा फैसला है.


क्या हैं मायने?


कोविंद का संबंध दलित समाज से है ऐसे में जो पार्टियां उनके विरोध में जाएंगी, बीजेपी उन्हें दलित विरोधी बताने में जरा भी देर नहीं करेगी. इसके साथ ही बीजेपी ने खुद के दलित विरोधी छवि से उबरने का तरीका ढूंढा है. दूसरी तरफ बिहार की सत्ताधरी पार्टियों को भी असमंजस में डाल दिया है. लालू-नीतीश के लिए मुसीबत ये है कि आखिर वो अपने ही राज्यपाल का राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के तौर पर विरोध कैसे करें और वो भी तब जब उनका संबंध दलित वंचित समाज से हो.


कौन हैं कोविंद?




  • रामनाथ कोविंद दलित समाज से आते हैं,

  • कोविंद कानपुर के रहने वाले हैं

  • सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट में 16 साल तक वकालत कर चुके हैं.

  • बिहार के राज्यपाल हैं.

  • कोविंद भारतीय जनता पार्टी के जाने-माने नेता हैं. राम नाथ कोविंद यूपी से दो बार साल 1994-2000 और साल 2000-2006 के दौरान राज्यसभा सांसद रह चुके हैं.

  • बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रह चुके हैं.

  • इसके अलावा कोविंद 1998 से 2002 तक बीजेपी के दलित मोर्चा के प्रेसिडेंट भी रह चुके हैं.

  • रामनाथ कोविंद का नाम अब तक कभी भी किसी विवाद में सामने नहीं आया है. उनकी छवि काफी साफ-सुथरी है.


रामनाथ कोविंद के प्रवक्ता ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि अभी उन्हें आधारिकारिक रूप से इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है.

इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस अध्यक्ष  सोनिया गांधी और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बातचीत करके राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद का समर्थन करने का अनुरोध किया है.

इसके मायने क्या हैं-

2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों में बीजेपी को इसका फायदा मिल सकता है. ये किसी मास्टर स्ट्रोक से कम नहीं है. विपक्ष की एकता को बिखेरने की कोशिश है.

राम नाथ कोविंद के नाम तय होने से पहले कई दूसरे बड़े चेहरे चर्चा में रहे, लेकिन आखिर-आखिर में राम नाथ कोविंद के नाम पर मुहर लगी. इस मीटिंग में पीएम मोदी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और बीजेपी के दूसरे बड़े नेता और मंत्री मौजूद थे.