अगले चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो गई है. केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस बी आर गवई को पत्र लिख कर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश भेजने के लिए कहा है. चीफ जस्टिस गवई का कार्यकाल 23 नवंबर तक है.
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के सेवानिवृत्त होने से 1 महीना पहले अगले चीफ जस्टिस की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हो जाती है. सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों की नियुक्ति और ट्रांसफर की प्रक्रिया को निर्धारित करने वाले 'मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर' के तहत केंद्र सरकार औपचारिक रूप से इस पद के लिए उपयुक्त नाम की सिफारिश चीफ जस्टिस से मांगती है. आम तौर पर दूसरे सबसे वरिष्ठ जज को इस पद पर नियुक्त किया जाता है.
इस समय जस्टिस सूर्य कांत, सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस के बाद सबसे वरिष्ठ जज हैं. ऐसे में यह लगभग तय है कि उनके नाम की ही सिफारिश अगले चीफ जस्टिस के रूप में सरकार को भेजी जाएगी और वह भारतीय न्यायपालिका में सर्वोच्च पद को संभालेंगे. अगर ऐसा होता है तो जस्टिस कांत 24 नवंबर को पद की शपथ लेंगे. उनका कार्यकाल 9 फरवरी, 2027 तक यानी लगभग 15 महीने का होगा.
कैसे होती है चीफ जस्टिस की नियुक्ति?संविधान के अनुच्छेद 124 (2) के तहत राष्ट्रपति सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की नियुक्ति करते हैं. नियम के अनुसार नए चीफ जस्टिस के नाम की सिफारिश वर्तमान चीफ जस्टिस भेजते हैं. जब चीफ जस्टिस सेवानिवृत्त होने वाले हों, उससे कुछ पहले केंद्रीय कानून मंत्री उन्हें पत्र भेज कर उनसे इस पद पर नई नियुक्ति के लिए सिफारिश मांगते हैं.
नियमों में ऐसा लिखा है और यह स्थापित परंपरा भी है कि चीफ जस्टिस जिस जज के नाम की सिफारिश भेजते हैं, वह सुप्रीम कोर्ट का वरिष्ठतम जज होता है. यानी चीफ जस्टिस के बाद दूसरे नंबर का जज, लेकिन यह जरूरी नहीं कि ऐसा ही किया जाए. अगर किसी वजह से वरिष्ठतम जज के इस पद के लिए सक्षम होने में संदेह हो, तो चीफ जस्टिस अपने सहयोगी जजों से चर्चा कर तय करते हैं कि किसका नाम नए चीफ जस्टिस के पद के लिए भेजा जाए.
चीफ जस्टिस के पास से भेजी गई सिफारिश को कानून मंत्री प्रधानमंत्री के पास रखते हैं. प्रधानमंत्री की सहमति के बाद सिफारिश राष्ट्रपति के पास भेज दी जाती है. वहां से नियुक्ति की औपचारिक अधिसूचना जारी हो जाती है.
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