नया संसद भवन एक बार फिर विवादों में है. विशेष सत्र के साथ 19 सितंबर को नए संसद भवन का श्रीगणेश किया गया और तमाम सांसद वहां पहुंचे. 22 सितंबर को विशेष समाप्त हो चुका है और अब कांग्रेस महासचिव के बयान से नए संसद भवन पर विवाद खड़ा हो गया. शनिवार को जयराम रमेश ने X (ट्विटर) पर एक पोस्ट किया और नई बिल्डिंग को 'मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरिएट' कहकर संबोधित किया. अपने ट्वीट में जयराम रमेश ने बताया कि विशेष सत्र के दौरान नई संसद में बिताए चार दिनों में उन्होंने क्या-क्या महसूस किया. इस पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी पलटवार किया और कहा कि इससे कांग्रेस की घटिया मानसिकता नजर आती है. उन्होंने कहा कि इस तरह कांग्रेस ने भारतीय नागरिकों का अपमान किया है. 


इससे पहले 28 मई को नई संसद के उद्घाटन समारोह के दौरान भी विपक्ष ने खूब हंगामा किया था और वह इसमें शामिल नहीं हुए थे. तब विपक्ष ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से संसद का उद्घाटन क्यों नहीं करवाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नई संसद का उद्घाटन किया था. अब जयराम रमेश के ट्वीट से नया संसद भवन फिर से विवादों में आ गया है.


जयराम रमेश ने गिनाईं नई संसद की खामियां
जयराम रमेश ने शनिवार को अपने ट्वीट में लिखा, 'इतने भव्य प्रचार-प्रसार के साथ उद्घाटन किया गया नया संसद भवन प्रधानमंत्री के उद्देश्यों को स्पष्ट रूप से दिखाता है. इसे 'मोदी मल्टीप्लेक्स' या 'मोदी मैरियट' कहा जाना चाहिए. चार दिन में मैंने देखा कि दोनों सदनों के अंदर और लॉबी में बातचीत एवं संवाद खत्म हो गया है. उन्होंने कहा, 'हॉल के कॉम्पैक्ट (सुगठित) नहीं होने की वजह से एक-दूसरे को देखने के लिए दूरबीन की आवश्यकता महसूस होती है. पुराने संसद भवन की कई विशेषताएं थीं. एक विशेषता यह भी थी कि वहां बातचीत और संवाद की अच्छी सुविधा थी. दोनों सदनों, सेंट्रल हॉल और गलियारों के बीच आना-जाना आसान था. नए भवन संसद के संचालन को सफल बनाने के लिए आवश्यक जुड़ाव को कमजोर करता है. दोनों सदनों के बीच आसानी से होने वाला समन्वय अब अत्यधिक कठिन हो गया है.'


पुरानी संसद से भी की तुलना
जयराम रमेश ने यह भी कहा कि पुरानी इमारत गोलाकार थी इसलिए अगर वहां कोई खो भी जाए तो उसको आसानी से रास्ता मिल सकता था. वहीं, नई बिल्डिंग में अगर कोई रास्ता भूल जाए तो भूलभूलैया में खो जाएगा. उन्होंने कहा कि पुरानी इमारत के अंदर और परिसर में खुलेपन का एहसास होता है, जबकि नई इमारत में घुटन महसूस होती है. जयराम रमेश ने दावा किया, 'मैंने सचिवालय के कर्मचारियों से यह भी सुना है कि नए भवन के डिजाइन में उन्हें काम में मदद करने के लिए आवश्यक विभिन्न व्यावहारिकताओं पर विचार नहीं किया गया है. ऐसा तब होता है जब भवन का उपयोग करने वाले लोगों के साथ ठीक से परामर्श नहीं किया जाता है. उन्होंने कहा कि 2024 में सत्ता परिवर्तन के बाद शायद नए संसद भवन का बेहतर उपयोग हो सकेगा.


आरजेडी सांसद मनोज झा ने किया समर्थन
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने जयराम रमेश का बचाव करते हुए कहा कि उन्होंने जो कहा उसमें से कई चीजें ऐसी हैं, जिन पर बात होनी चाहिए. नई बिल्डिंग के बेहतर इस्तेमाल पर चर्चा की जा सकती है. उन्होंने कहा, 'जब हम पुरानी संसद में बैठते थे तो सत्ता पक्ष के नेता आसानी से विपक्ष के पास आ सकते थे और बात कर सकते थे. वहां सेंट्रल हॉल था, जहां बहुत से गतिरोध खत्म कर दिए जाते थे. सेंट्रल हॉल वह जगह हुआ करती थी, जहां पर बड़े से बड़ा विवाद या गतिरोध खत्म हो जाता था.'


राष्ट्रपति मुर्मू को नई संसद भवन में आमंत्रित नहीं करने का मुद्दा भी उठा
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शनिवार को आरोप लगाया कि अछूत होने के कारण नए संसद भवन के शिलान्यास कार्यक्रम में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को आमंत्रित नहीं किया गया था. उन्होंने कहा, 'यदि शिलान्यास किसी अछूत द्वारा कराया जाता तो स्वाभाविक रूप से उसे गंगा जल से धोना पड़ता.' जयपुर में पार्टी कार्यकर्ताओं के सम्मेलन को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को नए संसद भवन के उद्घाटन में निमंत्रण भी नहीं दिया, जबकि अभिनेत्रियों समेत कई अन्य को आमंत्रित किया गया था. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रपति का अपमान है. 


जेपी नड्डा बोले- कांग्रेस ने किया 140 करोड़ भारतीयों का अपमान
जयराम रमेश के बयान के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष की तरफ से बयानबाजी शुरू हो गई है. जेपी नड्डा ने कहा कि यह कांग्रेस की निचली और घटिया मानसिकता को दिखाता है. उन्होंने कहा कि यह 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का अपमान है. नड्डा ने आरोप लगाया कि ये पहली बार नहीं है जब कांग्रेस ने संसद का विरोध किया है, 1975 में भी वह ऐसी कोशिश कर चुके हैं, लेकिन असफल हो गए.


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