कांग्रेस ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का श्रेय लेने के लिए इसका नाम बदल रही है. यह 'योजना के प्रति जानबूझकर की जा रही उपेक्षा को छिपाने के लिए एक दिखावटी बदलाव मात्र है.' 

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सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शुक्रवार को मनरेगा का नाम बदलने और इसके तहत कार्य दिवसों की संख्या बढ़ाने वाले विधेयक को मंजूरी दे दी. उन्होंने बताया कि इस योजना का नाम बदलकर अब ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ कर दिया जाएगा. इसके तहत कार्य दिवसों की संख्या वर्तमान में 100 दिनों से बढ़ाकर 125 दिन कर दी जाएगी.

कांग्रेस के महासचिव और संगठन प्रभारी केसी वेणुगोपाल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कभी मनरेगा को 'विफलता का स्मारक' कहा था, लेकिन अब इस क्रांतिकारी योजना का श्रेय लेने के लिए इसका नाम बदल रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया, 'यह महात्मा गांधी को हमारी राष्ट्रीय चेतना से, विशेषकर गांवों से, मिटाने का एक और तरीका है, जहां उन्होंने कहा था कि भारत की आत्मा निवास करती है.'

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वेणुगोपाल ने X पर किया पोस्ट

वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'यह कदम भी इस योजना के प्रति जानबूझकर की जा रही उपेक्षा को छिपाने के लिए किया गया एक दिखावटी बदलाव मात्र है.'

उन्होंने कहा कि मनरेगा के मजदूर अधिक मजदूरी की मांग कर रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार हर साल इस योजना के लिए आवंटित धनराशि में कटौती कर रही है. वेणुगोपाल ने कहा, 'बकाया राशि बढ़ती ही जा रही है और ऐसा लगता है कि यह योजना को धीरे-धीरे खत्म करने की एक सोची-समझी रणनीति है. असल में, इस सरकार का कल्याणकारी योजनाएं जारी रखने का कोई इरादा नहीं है और जब उसके पास कोई और उपाय नहीं सूझ रहा है तो वह सिर्फ दिखावा कर रही है.'

उन्होंने कहा, 'लेकिन माननीय मोदी, आप इसका नाम जितना चाहें बदल लें, लोग जानते हैं कि डॉ. मनमोहन सिंह जी और श्रीमती सोनिया गांधी जी ही इस परिवर्तनकारी योजना को भारत के हर गांव तक लेकर आए थे.'