Maharashtra: 'जब एकनाथ शिंदे एमवीए में मंत्री थे तब उन्हें...', बोलीं सुप्रिया सुले, कांग्रेस को लेकर भी दिया बयान
Maharashtra News: बीते साल 20 जून को ही एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ बगावत की थी. इसी को लेकर आज उद्धव ठाकरे की 'सेना' और एनसीपी महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन कर रही है.

Supriya Sule On Congress: एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष और लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने कांग्रेस के साथ अपने रिश्तों को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी और मेरे रिश्ते बहुत अच्छे हैं. मुझसे बेहतर रिश्ते निभाना कोई और नहीं जानता. गद्दार गद्दार होता है, चोर चोर होता है और अच्छा आदमी अच्छा आदमी होता है."
सुप्रिया सुले ने आगे कहा, "महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री से मुझे एक ही सवाल पूछना है. उनकी छोटी बहन के नाते मैं पूछना चाहती हूं कि ढाई साल जब आप महाराष्ट्र विकास अघाडी में मंत्री थे तब आपको ऐसा क्यों नहीं लगा और तब 20 तारीख को मुझसे सुबह उद्धव ठाकरे के ऑफिस में ही पौना घंटा मिले थे. आंदोलन करने का अधिकार हमें संविधान ने दिया है. विरोधियों की आवाज दबाई जा रही है. महाराष्ट्र में इसे दमन कहते हैं. यह हमारा अधिकार है और कोई हमसे यह अधिकार छीन नहीं सकता."
एकनाथ शिंदे को लेकर सुप्रिया सुले का बयान
एनसीपी नेता ने कहा, "आजकल नैतिकता बची ही नहीं है. लोग यहां से वहां जाते रहते हैं और यह हर पार्टी में होता है." उन्होंने एकनाथ शिंदे की तरफ इशारा करते हुए कहा, "अब जो लोग आरोप लगा रहे हैं वह ढाई साल पिछली सरकार में थे तब उन्हें नैतिकता याद नहीं आई. तब वह भी उस सिस्टम का हिस्सा थे तब उनको नहीं लगा कुछ गलत हो रहा है. अब बाहर जाने के बाद उनको लग रहा है कि गलत हो रहा है." उन्होंने कहा, "शिंदे बीएमसी को नहीं ठाकरे परिवार को टारगेट कर रहे हैं. 95 प्रतिशत लोग जांच एजेंसी के टारगेट में हैं वह सब विरोधी पक्ष के ही नेता हैं."
जितेंद्र आव्हाड और पुलिस के बीच बहस
इससे पहले, एनसीपी नेता जितेंद्र आव्हाड एनसीपी ऑफिस जाते हुए जोर-जोर से नारे लगा रहे थे कि 'पच्चास खोके, एकदम ओके'. इस नारे के बाद पुलिस ने उन्हें घेर लिया और कहा कि आंदोलन करने की अनुमति नहीं है. इस पर जितेंद्र आव्हाड और पुलिस के बीच कुछ देर के लिए बहस बाजी हुई. आव्हाड ने कहा कि उनकी आवाज तेज है वह अपने ऑफिस जा रहे हैं. वह आंदोलन नहीं कर रहे हैं. पुलिस ने कहा कि आप आंदोलन न करें क्योंकि इसकी इजाजत नहीं दी गई है.
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Source: IOCL





















