महिलाओं की मातृत्व सुरक्षा के लिए भारत में हर साल 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है. यह व्हाइट रिबन एलाइंस इंडिया (WRAI) की पहल है. सुरक्षित मातृत्व के लिए भारत सरकार ने 2003 में 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसे इसलिए मनाए जाने का फैसला किया गया क्योंकि गर्भावस्था, प्रसव और प्रसव बाद महिलाओं को अधिकतम स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित की जाए ताकि प्रसव के दौरान या बच्चे को जन्म देने के कारण किसी भी महिला की मौत न हो. बच्चे के जन्म के कारण माताओं की मौत के मामले में भारत की स्थिति बहुत खराब है.

     


भारत में 12 प्रतिशत मातृ मृत्यु दर


भारत में हर साल जन्म देते समय तकरीबन 45000 महिलाएं प्रसव के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं. यह संख्या दुनिया भर में होने वाली मौतों का करीब 12 प्रतिशत है. देश में जन्म देते समय प्रति 100,000 महिलाओं में से 167 महिलाएं मौंत के मुंह में चली जाती हैं. हालांकि स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय के मुताबिक भारत में मातृ मृत्‍यु दर में तेजी से कमी आ रही है. देश ने 1990 से 2011-13 की अवधि में 47 प्रतिशत की वैश्विक उपलब्धि की तुलना में मातृ मृत्‍यु दर को 65 प्रतिशत से ज्‍यादा घटाने में सफलता हासिल की है.  


राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस 2021 का महत्व


कोविड महामारी के कारण दुनिया भर में स्वास्थ्य आपातकाल है. इस स्थिति में देश में हर प्रेग्नेंट महिलाओं का अतिरिक्त ख्याल सुनिश्चित करना जरूरी है. इस माहौल में प्रेग्नेंसी से पहले और बाद में महिलाओं की सुरक्षित स्वास्थ्य के लिए सरकार ने खास तरह की व्यवस्था की है. जिन महिलाओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना हुआ है, उनका अधिकार है कि उन्हें उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवा मिले. कोरोना महामारी को देखते हुए प्रेग्नेंट महिलाओं को बिना किसी कारण घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी गई है.


राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस का इतिहास


भारत सरकार ने 1800 संगठनों के गठबंधन व्हाइट रिबन एलायंस इंडिया (डब्ल्यूआरएआइ) के अनुरोध पर साल 2003 में कस्तूरबा गांधी की जन्म वपर्षगांठ 11 अप्रैल को राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस के रूप में घोषित किया था. आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षित मातृत्व दिवस घोषित करने वाला भारत  दुनिया का पहला देश है. इस दिन देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ताकि गर्भवती महिलाओं के पोषण पर सही ध्यान दिया जा  सके.


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