नई दिल्ली: सदियों से ऐसी मान्यता रही है कि गंगा का पानी कई प्रकार के रोगों से लड़ने की क्षमता रखता है. गंगा के ऊपरी भाग के पानी में पाए जाने वाले बक्टेरियोफेजेस में बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता मानी जाती है. हालांकि कोरोना भी एक वायरस यानि विषाणु है. क्या गंगा नदी के पानी में कोरोना महामारी से लड़ने की ताकत है? क्या करोड़ों लोगों की जीवनदायिनी ये नदी इस वैश्विक बीमारी से लड़ने में दवा की तरह काम कर सकती है? इन सवालों का जवाब ढूंढने के लिए अब गंगा सफाई के काम की निगरानी करने वाली सरकारी संस्था राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने पहल की है.

मिशन ने देश में चिकित्सा रिसर्च की सबसे बड़ी संस्था आईसीएमआर को एक पत्र लिखा है. 28 अप्रैल को लिखे गए इस पत्र में आईसीएमआर से गंगा, खासकर इसके ऊपरी भाग के उन गुणों के वैज्ञानिक रिसर्च करने का आग्रह किया गया है. जिनसे पता लगाया जा सके कि इसके पानी में कोरोना जैसे विषाणुओं को खत्म करने की क्षमता है या नहीं? नदी के ऊपरी या पहाड़ी भागों में ऐसे तत्व मौजूद हैं या नहीं? आईसीएमआर के सूत्रों ने राष्ट्रीय गंगा मिशन से पत्र मिलने की पुष्टि तो की लेकिन आगे की योजना के बारे में फिलहाल नहीं बताया.

NIRI कर रहा है अध्ययन

पत्र में कहा गया है कि नागपुर स्थित नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट यानि NIRI पहले से ही गंगा नदी के पानी के 'विशेष गुणों' को लेकर एक अध्ययन कर रहा है और इसकी एक रिपोर्ट आ चुकी है. इस बीच कोरोना संकट के पैदा होने पर गंगा सफाई अभियान के काम में लगे कुछ कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रीय गंगा मिशन को पत्र लिखकर दावा किया कि गंगा नदी के पानी में इस बीमारी से लड़ने के गुण हो सकते हैं. इन कार्यकर्ताओं के पत्र मिलने के बाद 24 अप्रैल को गंगा मिशन के अधिकारियों ने NIRI के वैज्ञानिकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बैठक भी की.

इस बैठक में ज्यादातर वैज्ञानिकों की राय थी कि गंगा के पानी में ऐसे तत्व मौजूद हैं जो बैक्टेरिया जनित बीमारियों से लड़ सकते हैं. पानी में मौजूद बक्टेरियोफेजेस में बैक्टेरिया के खिलाफ लड़ने की क्षमता मानी जाती है. हालांकि कोरोना एक वायरस यानि विषाणु है. इसलिए इसका अध्ययन करवाना जरूरी है कि क्या पानी में वायरस यानि विषाणुओं से भी लड़ने की ताकत है.

'गंगा नदी के पानी में हैं विशिष्ट गुण'

वैज्ञानिकों ने ये जरूर माना है कि गंगा के पानी में वायरस जनित रोगों से लड़ने के लिए जरूरी रोधी क्षमता के विकास की संभावना बाकी नदियों के पानी की अपेक्षा कहीं ज्यादा है. राष्ट्रीय गंगा मिशन के महानिदेशक राजीव मिश्रा ने एबीपी न्यूज़ से कहा कि कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिकों के फीडबैक के बाद आईसीएमआर से शोध की सिफारिश की गई है क्योंकि यही मेडिकल रिसर्च में देश की सर्वोच्च संस्था है.

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