मध्य प्रदेश सरकार के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि जो कश्मीरी परिवार वापस जाना चाहते हैं सरकार उनकी मदद करेगी. मगर इस प्रस्ताव से भोपाल में रहने वाले कश्मीरी खुश नहीं हैं. उनका मानना है कि ये मामला इतना आसान नहीं है कि सरकार भेज दे और हम कश्मीर चले जाएं.


भोपाल के नेहरू नगर में रहने वाले हकीम परिवार की पुष्पलता हकीम शिवराज सिंह सरकार के इस प्रस्ताव का स्वागत तो करती हैं लेकिन बहुत बड़ा सवाल और उलझन उनके मन में है कि वहां जाकर वो क्या करेंगे?


कश्मीर से विस्थापित परिवार के सवाल वाजिब भी हैं. हकीम परिवार का कहना है कि उनके देवर के बच्चे तो कश्मीर के बाहर ही पैदा हुए. ऐसे में वो कश्मीर में जाकर कैसे रह पाएंगे, जिन्होंने कभी कश्मीर देखा ही नहीं. खुद इस परिवार की संतानें मुंबई और देश से बाहर हैं. ऐसे में अपनी प्रॉपर्टी पर हक मिले तो देखने तो जा सकते हैं लेकिन वहां जाकर रहना या उस बारे में सोचना या हां कहना अभी एकदम से मुश्किल है.


'30 साल जन्मभूमि से बेघर होकर बिताए'


भोपाल में रहने वाले हकीम परिवार ने अपने जीवन के कीमती 30 बरस जन्मभूमि से बेघर होकर बिताए हैं. हकीम मप्र के शासकीय सेवा से रिटायर्ड हैं और भोपाल में आगे का जीवन बिता रहे हैं. खुद बुजुर्ग हैं और बीमार रहते हैं. ऐसे में ये और इन जैसे अन्य परिवार किसी जल्दबाजी के बजाए सरकार के इस प्रस्ताव का स्वागत तो करते हैं पर वापसी की पूरी योजना बनाने की जरूरत और सतत चर्चा पर जोर देते हैं. 


पुनर्वास पर सियासत गर्म


वहीं श्रीनगर की रहने वाली और अब भोपाल की ही दुलारी मौका मिलने पर और सरकार से सुरक्षा की गारंटी के साथ जाने के मन बनाने से इनकार भी नहीं करतीं . वह भी चाहती हैं कि प्रॉपर प्लान देश के स्तर पर बने. वो वापस जाने से मना कर अपने जीवन में मातृभूमि का कर्ज भी नहीं छोड़ना चाहतीं.


उधर कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास पर सियासत गर्म हो गई है. गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में जिस दिन 370 हटाई गई थी उसी दिन स्पष्ट हो गया था. कश्मीर में मकान बनना शुरू हो गए हैं. कश्मीरी पंडित हमसे संपर्क करें, सरकार मदद करेगी.


द कश्मीर फाइल्स के बाद से सरकारों में विस्थापित कश्मीरियों के साथ खड़े होने की होड़ लग गई है. मगर हैरानी इस बात है कि अगर ये फिल्म नहीं आई होती तो क्या सरकारें यूं ही नींद में डूबी होतीं.


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