पश्चिम बंगाल के नारदा स्टिंग केस में सोमवार की सीबाआई की कार्रवाई और राज्य के 2 मंत्रियों समेत टीएमसी के चार नेताओं की गिरफ्तारी के बाद यह पूरा मामला अब राजनीतिक मोड़ ले लिया है. एक तरफ गिरफ्तारी के बाद जहां टीएमसी समर्थकों ने सोमवार की दोपहर को सीबीआई दफ्तर के बाहर भारी हंगामा किया और पत्थरबाजी की तो वहीं खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इसके विरोध में सीबीआई दफ्तर पहुंच गई.


मंत्रियों की गिरफ्तारी से भड़के अभिषेक बनर्जी


टीएमसी सांसद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी पूरे मामले पर भड़क गए और उन्होंने कहा कि वे इस लड़ाई को कानूनी रूप से लड़ेंगे. अभिषेक बनर्जी ने ट्वीट करते हुए कहा- "मैं सभी लोगों से यह अपील करता हूं कि वे कानून का पालन करें और बंगाल व बंगाल की जनता के दीर्घकालिन हितों के ले लॉकडाउन नियमों के उल्लंघन से दूर रहें. अभिषेक बनर्जी ने आगे कहा- हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है और हम इस लड़ाई को कानूनी रूप से लड़ेंगे."






अमित मित्रा बोले- लोकतांत्रिक नियमों का सरासर उल्लंघन


इधर, ममता सरकार में मंत्री डॉक्टर अमित मित्रा ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में कार्रवाई को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों का उल्लंघन करार दिया. उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा- “मोदी और शाह के नियंत्रण वाली सीबाआई की तरफ से लोकतांत्रिक नियमों और संघीय राजनीति का उल्लंघन है. प्रोटोकॉल के अनुसार, विधानसभा स्पीकर की अनुमति के बिना बंगाल के 2 मंत्रियों को गिरफ्तार किया गया है. बंगाल की जनता की तरफ से खारिज किए जाने के बाद यह राजनीतिक बदला है. यह बीजेपी-संघपरिवार की नवफासीवाद मानसिकता को उजागर करता है.”






क्या है पूरा मामला


नारदा टीवी न्यूज चैनल के मैथ्यू सैमुअल ने 2014 में कथित स्टिंग ऑपरेशन किया था जिसमें तृणमूल कांगेस के मंत्री, सांसद और विधायक लाभ के बदले में कंपनी के प्रतिनिधियों से कथित तौर पर धन लेते नजर आए. यह टेप पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के पहले सार्वजनिक हुआ था. कलकत्ता हाई कोर्ट ने स्टिंग ऑपरेशन के संबंध में मार्च 2017 में सीबीआई जांच का आदेश दिया था.


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