भोपाल: मौजूदा वक्त में सोशल मीडिया से लेकर टेलीविजन तक में हमें हिंदू और मुस्लिमों के बीच नफरत की खबर देखने को मिलती रहती है. लेकिन आज मध्य प्रदेश के मंदसौर से दोनों धर्मों को जोड़ने वाली एक खबर सामने आई है. भारत की गंगा-जमुनी तहज़ीब को बयां करती यह खबर दिल को छू लेने वाली है.


कोरोना वायरस के संक्रमण को देखते हुए लगभग ढ़ाई महीने पूरे देश में सभी तरह के धार्मिक स्थल बंद रहे. मंदिर हों या मस्जिद, सभी जगह इस संक्रमण के कारण सन्नाटा छाया रहा. लेकिन 08 जून से लॉकडाउन में ढ़ील देते हुए केंद्र सरकार ने सभी तरह के धार्मिक स्थलों को खोलने का फैसला किया. हालांकि, इसमें भी सरकार ने कोरोना के खतरे को ध्यान में रखते हुए कई तरह की पाबंदिया भी लगाईं. श्रद्धालुओं के लिए मंदिर तो खोल दिए गए, लेकिन इसमें घंटी बजाने पर रोक लगा दी गई. इसके पीछे सरकार का तर्क था कि घंटी छूने से कोरोना का संक्रमण एक व्यक्ति से दूसरे व्यकित के बीच फैल सकता है.


मध्य प्रदेश के नाहरू खान ने दूर की समस्या


मध्य प्रदेश के नाहरू खान ने एक ऐसा सेंसर बनाया है, जिसकी मदद से अब घंटी छूने की ज़रूरत नहीं है, सिर्फ घंटी के नीचे हाथ ले जाने से ही वह बजले लगती है. नाहरू खान ने यह मशीन मंदसौर के पशुपतिनाथ मंदिर को दान में दे दी है. नाहरू के कारण लोग बिना छुए ही घंटी बजा रहे हैं.






नाहरू के इस अविष्कार से श्रद्धालुओं के बीच खुशी की लहर देखने को मिल रही है. श्रद्धालुओं में इस बात की खुशी है कि घंटी बजाने से इंफेक्शन का जो डर था वो भी अब दूर हो गया है.


पशुपतिनाथ मंदिर के पुजारी ने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए इसे हटा दिया गया था, लेकिन अब भक्त घंटी के माध्यम से भगवान तक अपनी याचना पहुंचा सकते हैं. नाहरू भाई ने हमें सेंसर बनाकर दान में दिया है, जिससे अब भक्त बिना छुए ही घंटी बजा सकते हैं.


नाहरू के बयान ने पेश की मिसाल 


पशुपतिनाथ मंदिर को दान में सेंसर देने वाले नाहरू खान ने कहा, मस्जिद से तो आज़ान की आवाज़ आ रही है, लेकिन इन दिनों मंदिरों से घंटी बजने की आवाज़ नहीं आ रही थी. ऐसे में हमें अच्छा नहीं लगा रहा था. इसलिए मैंने ऐसे सेंसर के बनाने के बारे में सोचा, जिससे बिना छुए ही घंटी बजने लगे. अब भक्तों को घंटी छूने की ज़रूरत भी नहीं है.


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