मुंबई: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हैं. उद्धव ठाकरे खुद भी कहते हैं कि गाड़ी की स्टेयरिंग उनके हाथ में है. पर गाहे-बगाहे ऐसे उदाहरण सामने आ जाते हैं, जिससे इस बात को हवा मिलती है कि सरकार का रिमोट कंट्रोल शरद पवार के हाथ में है. बकरीद को लेकर जब मुस्लिम विधायकों की मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात न बनी तो अब मुस्लिम विधायक शरद पवार के पास पहुंचे हैं और उम्मीद लगाए हैं कि मुख्यमंत्री ने तो सुनी नहीं अब शरद पवार से ही उनकी बात बनेगी.


महाराष्ट्र में सरकार बने 6 महीने से ऊपर का समय गुजर चुका है. कल उद्धव ठाकरे ने अपना जन्मदिन मनाया था. एक इंटरव्यू में उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार की स्टेयरिंग उनके हाथ में है. शिवसेना अपने मुख्यमंत्री और अपनी सरकार की पीठ थपथपाती है. पर यह चर्चा जोरों पर रहती है कि सरकार का असली रिमोट कंट्रोल शरद पवार के हाथों में है.


बकरीद के त्योहार के लिए मुंबई के मुस्लिम विधायक रियायत की मांग करते हुए पहले मुख्यमंत्री के दरवाजे पर गए. मुख्यमंत्री ने कोरोना वायरस के चलते रियायत देने से मना किया तो अब विधायक शरद पवार के दरवाजे पर पहुंचे हैं. एसपी से विधायक अबू आजमी का कहना है कि महाराष्ट्र में जो सरकार है, जिसे अबू आजमी समर्थन करते हैं, उस सरकार के मुख्य ऑर्गेनाइजर शरद पवार हैं. इसी कड़ी में विधायक उनके पास पहुंचे थे.


अब सवाल यह उठता है कि जब मुख्यमंत्री ने अपना फैसला सुना दिया है. गाइडलाइन जारी कर दी है. उसके बाद विधायक शरद पवार के पास पहुंचे हैं. इसका मतलब है कि विधायकों का भी मानना है कि शरद पवार का फैसला मुख्यमंत्री के ऊपर होगा.


आपको बता दें, इससे पहले तमाम ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं, उद्धव ठाकरे के मत के विपरीत शरद पवार जो चाहते हैं वह महाराष्ट्र में होता हुआ दिखाई दिया.


बताया जा रहा है कि बकरीद में रियायत को लेकर सबसे पहले मुस्लिम विधायक आपस में मिले. जिसके बाद वीडियो कॉन्फ्रेंस पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से चर्चा हुई मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सबकी बातें सुनी और कहा कि त्यौहार में सादगी बरतने की जरूरत है. कोरोना के चलते पिछले 4 महीने से यही हुआ है.


इसके बाद सारे मुस्लिम विधायक शरद पवार के दरवाजे पर पहुंचे हैं. इस बैठक में शरद पवार और मुस्लिम विधायकों के साथ महाराष्ट्र सरकार के तमाम मंत्री और प्रशासन के तमाम सीनियर अधिकारी मुंबई पुलिस कमिश्नर से लेकर डीजीपी तक मौजूद थे. शरद पवार वैसे तो अब किसी औपचारिक पद पर नहीं और उनके सामने मंत्रियों से लेकर बड़े अधिकारियों का किसी चर्चा में भाग लेना रिमोट कंट्रोल उनके हाथ में है इस बात को हवा देता है.


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