नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए तारीखों का एलान हो गया है, 11 अप्रैल से 19 मई के बीच सात चरणों में देशभर में वोटिंग होगी. बता दें कि वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 3 जून को खत्म हो रहा है. इस बीच लोकसभा चुनाव की तरीखों को लेकर विवाद शुरू हो गया है. मुस्लिम धर्म गुरु और मुस्लिम नेताओं ने रमजान के महीने में चुनाव की तारीखें रखने पर एतराज जताया है. मुस्लिम धर्मगुरुओं और कई पार्टियों के मुस्लिम नेताओं ने रमजान के दिनों में मतदान पर एतराज जताया है. लखनऊ में मुस्लिम धर्म गुरु खालिद रशीद फिरंगी महली, बंगाल में ममता सरकार के मंत्री फिरहाद करीम और दिल्ली में आप विधायक अमानतुल्ला को रमजान के दिनों में मतदान की तीन तारीखों पर एतराज है. दलील ये है कि रमजान के महीने में वोट डालने में करोड़ों रोजेदारों को परेशानी होगी. मौलाना फिरंगी महली ने कहा कि पांच मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने माहे रमजान का चांद देखा जाएगा. मौलाना ने कहा कि अगर चांद दिख जाता है तो 6 मई से रोजा शुरू हो जाएगा. रोजा के दौरान देश में 6 मई, 12 मई और 19 मई को मतदान होगा. जिससे देश के करोड़ों रोजेदारों को परेशानी होगी. उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को देश के मुसलमानों का ख्याल रखते हुए चुनाव कार्यक्रम तय करना चाहिए था. तृणमूल नेता और कोलकाता के मेयर फिरहाद करीम का कहना है कि तीन राज्यों में मुस्लिमों की संख्या अधिक है. रमजान रहते हुए चुनाव कैसे हो सकते हैं. फिरहाद करीम ने कहा कि हमें चुनाव आयोग से कोई परेशानी नहीं है, हम सिर्फ यह कहना चाहते हैं कि तीन राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में मुसलमानों को रोजे के दौरान वोटिंग में परेशानी का सामना करना पड़ेगा. आखिर इसे लेकर आपत्ति क्या है? 5 मई को मुसलमानों के सबसे पवित्र महीने माहे रमजान का चांद देखा जाएगा. अगर चांद दिख जाता है तो 6 मई से रोजे शुरू होंगे. रोजे के दौरान देश में 6 मई, 12 मई व 19 मई को मतदान होगा. इसी को लेकर विवाद है, मुस्लिम नेताओं को इसी को लेकर आपत्ति है.
चुनाव की तारीखों पर विवाद: मुस्लिम धर्म गुरु और मुस्लिम नेताओं को रमजान के दौरान वोटिंग पर एतराज
एबीपी न्यूज़ | 11 Mar 2019 11:33 AM (IST)