"आते हैं जैसे जैसे बिछड़ने के दिन क़रीब
लगता है जैसे रेल से कटने लगा हूं मैं"


जाने माने शायर मुन्नवर राणा ने कभी ये लिखा था जो कल रात उन पर ही गुज़र गई. वो भी ऐसी गुज़री कि उनका सफर ही ख़राब हो गया. जागते जागते ही ट्रेन में उनकी रात कटी. वे आज सुबह दिल्ली पहुंच गए. एम्स में राणा के घुटने का आपरेशन होना है, वे कैंसर से भी लड़ रहे हैं. भारी वजन के चलते उन्हें चलने फिरने में भी दिक़्कतें होती हैं. 66 साल के लोकप्रिय शायर ने ट्वीट कर अपना दर्द साझा किया है.


मुन्नवर राणा बीती रात लखनऊ से दिल्ली के लिए रवाना हुए. एसी फ़र्स्ट क्लास में उनका रिज़र्वेशन था. 66 साल के राणा के साथ 67 साल के उनके दोस्त मुन्नवर जाफ़री भी सफर कर रहे थे. आदिल राशिद भी साथ चल रहे थे लेकिन किसी को भी लोअर बर्थ नहीं मिला. शायर राणा गई रात को 11.30 बजे लखनऊ से रवाना हुए. घंटे भर बाद उन्होंने ट्वीट किया "तीन पैसेंजर में से दो सीनियर सिटीजन हैं लेकिन इसके बावजूद हमें ऊपर की बर्थ मिली. क्या सीनियर सिटीजन को यही सुविधा मिलती है". राणा ने रेल मंत्री पीयूष गोयल और रेल मंत्रालय को भी अपने ट्वीट में टैग किया. उन्होंने अपना पीएनआर नंबर, ट्रेन नंबर और बर्थ नंबर भी बताया.


 





जाने माने शायर मुन्नवर राणा अपनी बेबाक़ी के लिए जाने जाते हैं. बढ़ती उम्र और खराब स्वास्थ्य के बावजूद वे जहां भी शेर सुनाने जाते हैं, लोगों की भीड़ लग जाती है. मां को लेकर जो उन्होंने लिखा है, शायद ही किसी शायर ने वैसा लिखा हो.


"चलती फिरती हुई आंखों से अजां देखी है
मैंने जन्नत तो नहीं देखी है, मां देखी है"


मुन्नवर राणा की तबीयत इन दिनों खराब ही रहती है. मुशायरों में उनका आना जाना कम हो गया है. नरेन्द्र मोदी जब पीएम बने तो 2014 में मुन्नवर राणा को साहित्य अकादमी का पुरस्कार मिला. लेकिन बिहार विधानसभा चुनाव से पहले उन्होंने ये सम्मान वापस कर दिया. तब देश भर में इस पर बड़ा विवाद हुआ था.