मुंबई: मुंबई की कोस्टल रोड परियोजना शहर के पश्चिमी भाग में समुद्र के किनारे समुद्र को पाटकर बनाई जाने वाली सड़क परियोजना है. कोस्टल रोड लगभग 29.2 किलोमीटर का लंबा फ्रीवे होगा जो आठ लेन का बना होगा. यह मुंबई के दक्षिण छोर को उत्तर के छोर से जोड़ेगा. इस कोस्टल रोड की शुरुआत दक्षिण मुंबई के मरीन लाइन से उत्तर मुम्बई के कांदिवली इलाके तक होगी. इस कोस्टल परियोजना का कुल खर्च करीब 12,000 करोड़ रुपये आंका गया है. पहले चरण में प्रिंसेस स्ट्रीट फ्लाईओवर से लेकर वर्ली इलाके तक इसका निर्माण होगा जिसकी दूरी करीब 10 किलोमीटर की है. यह काम साल 2022 तक पूरा करना है. जबकि दूसरे चरण में बांद्रा से कांदिवली तक का काम पूरा किया जाएगा. पहले हिस्से का काम बीएमसी तो दूसरे हिस्से का काम MMRDA करेगी.


क्यों जरूरी है कोस्टल रोड?


मुम्बई की आबादी 2 करोड़ से अधिक है. सिर्फ मुम्बई में रजिस्टर्ड वाहनों की संख्या 25 लाख के करीब है. स्टेट ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री के मुताबिक मुंबई के एक किलोमीटर के दायरे में 510 प्राइवेट कार आती हैं. हम बात सिर्फ मुम्बई के वाहनों की कर रहे हैं इसमें मुम्बई से सटे इलाके या बाहर से आने वाले वाहन शामिल नहीं हैं. इस कोस्टल रोड के बन जाने से प्रतिदिन करीब 1,30,000 वाहन इसका इस्तेमाल कर सकेंगे. दक्षिण मुंबई से उत्तर मुंबई में पहुंचने के लिए लगने वाला समय ढाई घंटे से कम होकर 40 मिनट का हो जाएगा. लगभग 34 किलोमीटर की यह कोस्टल रोड टोल फ्री होगी.


पर्यावरण को नुकसान का दावा


दरअसल, इस योजना के तहत समुद्री किनारों को मिट्टी से पाटा जाना था ताकि वहां सड़क बन सके, लेकिन कोली समुदाय सहित पर्यावरणविद भी इसके खिलाफ हो गये. कोली समाज यानी मछुआरों का कहना था कि मिट्टी पाटने से उनकी जीविका पर असर पड़ेगा. इसके बाद इस योजना के खिलाफ कई सारी याचिका कोर्ट में दाखिल की गयीं. बॉम्बे हाई कोर्ट ने कोस्टल परियोजना के कई खामियों को उजागर करते हुए काम पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मुंबई हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें हाई कोर्ट ने कोस्टल रोड के दक्षिणी हिस्से में सीआरजेड कानून के तहत मिली मंजूरी में खामियों को इंगित करते हुए इसके काम पर रोक लगा दी थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से राज्य सरकार और बीएमसी को बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यातायात की समस्या को देखते हुए मुंबई में नया विकल्प समय की जरूरत है. इसीलिए सिर्फ कोस्टल रोड के काम को अनुमति दी जा रही है. परियोजना के पास अन्य कोई विकास कार्य शुरू नहीं करें.


सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और आदित्य ठाकरे ने फैसले का स्वागत किया है. देवेंद्र फडणवीस ने कहा की इस प्रोजेक्ट के लिए 5 साल तक मेहनत की, सभी जरूरी इजाज़त हसिल की. अब उद्धव ठाकरे की सरकार स्टे अथॉरिटी के तौर पर काम ना करे. आदित्य ठाकरे ने इसे अपने पिता और सीएम उद्धव ठाकरे का ड्रीम प्रोजेक्ट बता दिया.


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