Mukhtar Ansari And Brijesh Singh Story: उत्तर प्रदेश के माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की तबियत बिगड़ने के बाद बांदा के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. उसका आईसीयू में इलाज चल रहा है. उसके पेट और यूरिनल में इंफेक्शन बताया गया. कुछ दिन पहले भी उसकी तबियत बिगड़ गई थी, तब भी इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था. इस दौरान मुख्तार अंसारी ने जेल में स्लो पॉइजन देने का आरोप लगाते हुए अपनी जान को खतरा बताया था.


अब ऐसे में सवाल उठ रहा है आखिर उसे कौन जहर देकर मारना चाहता है? मुख्तार अंसारी के दुश्मनों की अगर बात की जाए तो इसकी लिस्ट लंबी है लेकिन इस लिस्ट में उसका दुश्मन नंबर 1 है बृजेश सिंह. एक समय पूर्वांचल में दो बड़े माफिया डॉन मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की दुश्मनी की कहानी भी पुरानी है लेकिन समय-समय पर ताजा होती रहती है.


बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की दुश्मनी की कहानी


90 के दशक में पूर्वांचल में साहिब सिंह और मजनू सिंह नाम के दो गैंग सक्रिय थे. ये गैंग हर तरह के अपराध, ठेकेदारी, हत्या और जबरन वसूली जैसे तमाम अपराधों में शामिल रहते थे. इसी दौरान बृजेश सिंह की दोस्ती त्रिभुवन सिंह से होती है. त्रिभुवन सिंह साहिब सिंह गैंग का सदस्य था और वो बृजेश सिंह को इसी गैंग में शामिल करवा लेता है.


इससे पहले त्रिभुवन सिंह की कहानी भी जाननी जरूर है क्योंकि उसकी दुश्मनी भी मुख्तार अंसारी से थी जो बाद में बृजेश सिंह बनाम मुख्तार अंसारी बनी. दरअसल, त्रिभुवन सिंह के परिवार के कई सदस्यों की हत्या कर दी जाती है. इसमें उसके भाई राजेंद्र सिंह की हत्या शामिल होती है जो यूपी पुलिस में था. इस मर्डर में मजनू सिंह गैंग के साथ-साथ इसके सदस्य मुख्तार अंसारी और साधु सिंह का नाम सामने आता है.


अपने भाई की हत्या का बदला लेने के लिए त्रिभुवन सिंह बृजेश सिंह के साथ मिलकर साधु सिंह की हत्या कर देते हैं. इसके बाद फिर बृजेश सिंह और मुख्तार अंसारी की कभी न खत्म होने वाली दुश्मनी शुरू हो जाती है.


मुख्तार अंसारी पर जानलेवा हमला


साल 2001 में बृजेश सिंह ने मुख्तार अंसारी पर पहला हमला करवाया था. इस हमले में मुख्तार अंसारी की तो जान बच गई लेकिन उसके दो गनर मारे गए. ये घटना उसरी चट्टी कांड के नाम फेमस है. इसके बाद से मुख्तार अंसारी और बृजेश सिंह की दुश्मनी बढ़ गई. फिर बृजेश सिंह ने अपने दबदबे को कायम रखने के लिए विधायक नित्यानंद राय का राजनीतिक संरक्षण लिया. साल 2002 में नित्यानंद राय ने मुख्तार अंसारी के भाई अफजल अंसारी को चुनाव में हरा दिया और बृजेश सिंह नित्यानंद राय के संरक्षण में काम करने लग गया.


फिर वो तारीख आती है जब नित्यानंद राय की भी हत्या कर दी जाती है. 29 नवंबर 2005 को मुख्तार गैंग नित्यानंद राय को गोलियों से छलनी कर देता है. इसके बाद बृजेश सिंह भी इलाके में नहीं दिखता है और अंडरग्राउंड हो जाता है. साल 2008 में बृजेश सिंह को दिल्ली स्पेशल सेल की टीम ओडिशा के भुवनेश्वर से गिरफ्तार कर लेती है.


इस बीच बृजेश सिंह के परिवार वाले राजनीति में अपना परचम लहराने लगे. बृजेश सिंह के बड़े भाई उदयभान सिंह, पत्नी अन्नपूर्णा सिंह और खुद बृजेश सिंह एमएलसी का चुनाव लड़ते हैं और जीतते हैं. वहीं, मुख्तार अंसारी का भी राजनीति में दबदबा कायम रहता है और इन सब के बीच मुख्तार अंसारी गिरफ्तार होने के बाद कहता रहा है कि उसकी जान को खतरा है.


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