मध्यकालीन भारत में मुगल साम्राज्य दुनिया के सबसे समृद्ध साम्राज्यों में गिना जाता था. बाबर से औरंगजेब तक का यह दौर न केवल राजनीतिक ताकत बल्कि शाही जीवनशैली और रानियों की सुंदरता के लिए भी मशहूर रहा. उस समय भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की लगभग 25% हिस्सेदारी रखती थी. रानियों और शहजादियों को पूरे सूबे का टैक्स निजी आय के रूप में मिलता था. इसी धन-दौलत से वे दुनिया के सबसे महंगे मेकअप और ब्यूटी ट्रीटमेंट का इस्तेमाल करती थीं.
द मुगल एवरी के लेखक सबिहा हक ने अपनी किताब में जहांगीर की बेगम नूरजहां की जिक्र किया है. नूरजहां का नाम उनकी सुंदरता और कला के लिए इतिहास में दर्ज है. कहा जाता है कि एक बार नूरजहां गुलाब की पंखुड़ियों से भरे हमाम में नहा रही थीं. तभी उन्होंने पानी की सतह पर एक सुगंधित तेल तैरते देखा. उस सुगंध ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि इसके बाद गुलाब और अन्य फूलों से इत्र बनाने की परंपरा शुरू हुई. धीरे-धीरे इत्र मुगल रानियों और शहजादियों के ब्यूटी प्रोडक्ट का जरूरी हिस्सा बन गया.
मुगल रानियों का ब्यूटी रूटीनमुगल रानियों की सुंदरता के पीछे उनका खास ब्यूटी रूटीन था. दांतों और मसूड़ों की सफाई के लिए वे नीम का दातून और मोती, कपूर और कस्तूरी से बने पाउडर का इस्तेमाल करती थीं. होंठों को पान से प्राकृतिक लालिमा दी जाती थी, जबकि चेहरा और हाथ-पैर रोज सुगंधित क्रीम और परफ्यूम से संवारे जाते थे.
दूध और केसर का इस्तेमालत्वचा की चमक बनाए रखने के लिए दूध और केसर का इस्तेमाल किया जाता था. रानियां मोती, पन्ना और फिरोजा जैसे रत्नों का पाउडर स्किन केयर और मेकअप में लगाती थीं. चंदन पाउडर को गुलाबजल, दूध और हल्दी के साथ मिलाकर चेहरे और शरीर पर लगाया जाता था. आंखों के मेकअप के लिए भी चंदन में रत्नों का पाउडर मिलाया जाता था. सहजन यानी मोरिंगा की पत्तियां भी उनकी ब्यूटी रूटीन का हिस्सा थीं. इन्हें पहले औषधीय उपयोग में लिया जाता था, लेकिन बाद में त्वचा की देखभाल के लिए भी इस्तेमाल किया जाने लगा. इससे त्वचा स्वस्थ और युवा बनी रहती थी.
मुगल ब्यूटी प्रोडक्ट्स और शाही जीवनशैलीमुगल दरबार की महिलाएं प्राकृतिक और आयुर्वेदिक सामग्रियों से बने प्रोडक्ट का इस्तेमाल करती थीं. इत्र और गुलाबजल खुशबू और ताजगी के लिए जरूरी थे. दूध और केसर से त्वचा में निखार आता था. रत्नों का पाउडर मेकअप और स्किन टोन सुधारने के लिए लगाया जाता था. चंदन और हल्दी प्राकृतिक फेस पैक के रूप में इस्तेमाल होते थे.
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