मुगल साम्राज्य के इतिहास में माहम अंगा एक ऐसी महिला थीं, जिसकी कहानी सत्ता, बुद्धिमत्ता और राजनीतिक कौशल से भरी हुई है. हुमायूं जब शेरशाह सूरी से हारकर वापस हिन्दुस्तान लौटा तो उनके साथ एक महिला भी थी  माहम अंगा. माहम अंगा हुमायूं के दूध-शरीक भाई नदीन खान की बेगम थी और अकबर के पालन-पोषण में उनकी भूमिका बेहद जरूरी रही. अकबरनामा के अनुसार, 13 वर्ष के अकबर को माहम अंगा से विशेष लगाव था. अकबर के जीवन के शुरुआती वर्षों में माहम अंगा न केवल उनकी संरक्षक बनीं बल्कि उसके व्यक्तित्व को आकार देने में भी अहम भूमिका निभाई.

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हुमायूं की मौत के बाद सत्ता की बागडोर बैरम खां के हाथों में आई, जिन्होंने 14 वर्षीय अकबर को गद्दी पर बैठाया, लेकिन माहम अंगा और बैरम खां के बीच राजनीतिक मतभेद शुरू हो गए. बैरम खां समझ गए थे कि माहम अंगा अकबर के माध्यम से मुगल राजनीति में अपना प्रभाव बढ़ाना चाहती हैं. राजनीति में माहम अंगा की पकड़ मजबूत होती जा रही थी. उसने धीरे-धीरे अकबर के निर्णयों पर असर डालना शुरू कर दिया. दरबार के भीतर उसका प्रभाव इतना बढ़ा कि वे हर बड़े निर्णय में परोक्ष रूप से शामिल होने लगीं. यह स्थिति बैरम खां के लिए असहनीय थी और दोनों के बीच टकराव बढ़ने लगा.

चाल जिसने बैरम खां को समाप्त किया

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माहम अंगा अपनी रणनीति में इतनी कुशल थी कि उसने अकबर को यह समझाने में सफलता पाई कि बैरम खां को तीर्थयात्रा के लिए मक्का भेज देना ही बेहतर होगा. अकबर ने इस सलाह को स्वीकार कर लिया और बैरम खां को सल्तनत से दूर भेज दिया गया. 1561 में, गुजरात की यात्रा के दौरान बैरम खां की हत्या अफगानों के एक समूह ने कर दी. यह घटना माहम अंगा के राजनीतिक जीवन में एक निर्णायक मोड़ साबित हुई. अब उनके सामने सत्ता का रास्ता खुल गया था. उसने अकबर के दरबार में अपनी स्थिति को और सशक्त किया और कई वफादार दरबारियों को इनाम देकर अपने प्रभाव को पुख्ता किया.

माहम अंगा का सत्ता शिखर

बैरम खां की मौत के बाद माहम अंगा अकबर के दरबार की सबसे प्रभावशाली महिला बन गई. शाही हरम और शाही परिवार के मामलों की जिम्मेदारी अब उसके पास थी. धीरे-धीरे वे अकबर की राजनीतिक सलाहकार बन गई. इतिहासकार मोहम्मद हुसैन आज़ाद ने लिखा है कि दरबार-ए-अकबरी में माहम अंगा, उनका पुत्र आदम खां और अन्य रिश्तेदार सत्ता पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश में लगे रहते थे. अकबर भी उन्हें सम्मान और अधिकार देते थे. अकबर के जीवन में माहम अंगा का स्थान इतना महत्वपूर्ण था कि उन्होंने उनके लिए मकबरा बनवाया, जो आज भी दिल्ली में माहम अंगा का मकबरा के नाम से प्रसिद्ध है.

माहम अंगा का प्रभाव और विरासत

माहम अंगा ने मुगल साम्राज्य में महिला शक्ति का एक नया अध्याय लिखा. वे यह साबित करने में सफल रहीं कि केवल युद्ध या तलवार से नहीं, बल्कि बुद्धिमत्ता और राजनीतिक समझ से भी सत्ता पर प्रभाव डाला जा सकता है. उनका जीवन यह दर्शाता है कि मुगल युग में महिलाओं की भूमिका केवल शाही हरम तक सीमित नहीं थी. माहम अंगा जैसी महिलाओं ने राजनीति, रणनीति और शासन में अपनी गहरी छाप छोड़ी.

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