भारत को पुराने समय में सोने की चिड़िया कहा जाता था. यह नाम यूं ही नहीं पड़ा. उस दौर में यहां की धरती उपजाऊ थी, व्यापार चमकता था और सम्राटों के खजाने अपार संपत्ति से भर जाते थे. मुगल काल आने तक यह समृद्धि और भी बढ़ गई. खासकर बादशाह अकबर के शासन में भारत आर्थिक रूप से अपने चरम पर पहुंचा. कई इतिहासकारों का मानना है कि अकबर का प्रशासनिक ढांचा इतना मजबूत था कि पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी लगभग एक–चौथाई (25 फीसदी) तक पहुंच गई थी. यह किसी भी शासक के लिए अविश्वसनीय उपलब्धि मानी जाती है. Aberdeen Asia और Money.com के अनुसार सन 1595 में उनके खजाने में लगभग नौ करोड़ रुपये थे. उस समय इतनी राशि दुनिया की कुल संपत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा मानी जाती थी. आज के दौर में इसका मूल्यांकन किया जाए तो यह रकम आधुनिक वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में लगभग 21 ट्रिलियन डॉलर के बराबर बैठती है. अगर इसे भारतीय मुद्रा में देखें तो यह लगभग 1750 लाख करोड़ रुपये बनता है. इस तुलना से समझा जा सकता है कि अगर अकबर आज के समय में होते तो वे दुनिया के सबसे अमीर शासकों में शामिल होते, यहां तक कि कई विकसित देशों की अर्थव्यवस्था को भी पीछे छोड़ देते. अकबर की आय ब्रिटेन से भी अधिक क्यों थी?सोलहवीं सदी में जिस समय ब्रिटेन अपनी आर्थिक ताकत बढ़ाने की कोशिश कर रहा था, उस समय भारत का मुगल साम्राज्य पहले से ही संपन्न था. कई पश्चिमी शोधों में पाया गया कि उस समय अकबर की वार्षिक आय ब्रिटेन के कुल खजाने से भी अधिक थी. यह अंतर दर्शाता है कि भारत कितना सुदृढ़ आर्थिक ढांचा रखता था. अकबर की संपत्ति बढ़ने के प्रमुख कारणअकबर के आर्थिक सुधारों ने पूरे साम्राज्य की दिशा बदल दी. भूमि राजस्व प्रणाली का पुनर्गठन एक बड़ा कदम था. इस व्यवस्था ने किसानों को सुरक्षा दी और सरकार को नियमित आय सुनिश्चित की. इसके साथ ही व्यापार लगातार बढ़ता गया. भारत से मसालों, कपड़ों, रेशम, कीमती पत्थरों और हैंडीक्राफ्ट का निर्यात दूर–दूर के देशों तक होता था. समुद्री रास्तों के सुरक्षित रहने से व्यापारियों का भरोसा बढ़ा और खजाना लगातार भरता गया. शासन में स्थिरता भी एक बड़ी वजह थी. अकबर ने धार्मिक सद्भाव और शांतिपूर्ण माहौल पर ध्यान दिया, जिसकी वजह से व्यापार और उत्पादन दोनों पर सकारात्मक असर पड़ा. अकबर के खजाने की संरचनाइतिहास में दर्ज विवरण बताते हैं कि मुगल खजाने में सोने–चांदी के पहाड़ जैसे भंडार थे. हीरे, मोती और बहुमूल्य रत्नों के संग्रह की कोई गिनती नहीं थी. इसके अलावा भूमि से मिलने वाला कर, व्यापार से होने वाला लाभ और शिल्प उद्योग की आय ने मुगल शाही खजाने को दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक केंद्र बना दिया. भारत ‘सोने की चिड़िया’ क्यों कहलाया?भारत की खेती उपजाऊ थी, नदी–घाटियां व्यापार के लिए अनुकूल थीं और शिल्प उद्योग दुनिया में अपनी पहचान रखता था. मसाले, वस्त्र और कीमती रत्नों की वैश्विक मांग इतनी ज्यादा थी कि भारत का व्यापार कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं से बड़ा हो गया. अकबर का शासन इस स्वर्णिम युग का सबसे चमकदार अध्याय था, जिसने भारत को विश्व अर्थव्यवस्था में शीर्ष पर पहुंचा दिया.
ये भी पढ़ें: Weather Update: शीतलहर, कोहरा और बारिश, मौसम विभाग ने जारी कर दी चेतावनी, जानें यूपी, दिल्ली से लेकर बिहार तक का मौसम