MP OBC Reservation: मध्य प्रदेश विधानसभा में ओबीसी आरक्षण पर मंगलवार को जोरदार हंगामा देखने को मिला. जिसके बाद विधानसभा को स्थगित करना पड़ा. कांग्रेस विधायकों ने ओबीसी को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग को लेकर विधानसभा में काले एप्रन पहनकर विरोध जताया. इसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए पाखंड दिखाने का आरोप लगाया.
शिवराज चौहान ने कहा- वह समाज को भ्रमित कर उसे तोड़ना चाहती है. उन्होंने ओबीसी को धोखा दिया है और पीठ में छूरा घोंपा है... उन्होंने 10 से 19 मार्च 2019 तक 27 फीसदी आरक्षण के लिए क्या किया (जब मध्य प्रदेश सरकार कोर्ट के सामने याचिका दायर की थी, जिस पर कोर्ट ने स्टे लगा दिया था.)? मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आगे कहा- उन्होंने इस वक्त क्या किया यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोर्ट से स्टे न लगे. वे अपनी आंखों को बंद कर बैठ गए क्योंकि वह खुद ही चाहती थी कि उस पर स्टे लगे.
आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को हटाने पर विचार करे सरकार- कांग्रेस
इधर, कांग्रेस ने ओबीसी से संबंधित संशोधन विधेयक का समर्थन करते हुए मंगलवार को कहा कि केंद्र सरकार आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाने पर विचार करे ताकि महाराष्ट्र में मराठा समुदाय और दूसरे कई राज्यों में लोगों को इसका लाभ मिल सके. सदन में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी ने ‘संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021’ पर चर्चा की शुरुआत करते हुए यह आरोप भी लगाया कि केंद्र सरकार की गलती के कारण ही यह विधेयक लाना पड़ा है तथा वह उत्तर प्रदेश एवं कुछ राज्यों के चुनाव को ध्यान में रखकर भी इसे लाई है.
उन्होंने पेगासस जासूसी मामले को उठाते हुए कहा कि अगर सरकार इस पर चर्चा के लिए सहमत होती तो गतिरोध नहीं होता, हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि वह विषय पर बोलें. चौधरी ने कहा, ‘‘हम इस विधेयक पर चर्चा में भाग ले रहे हैं क्योंकि यह संविधान संशोधन विधेयक है इसमें दो तिहाई बहुमत का समर्थन की जरूरत है. हम एक जिम्मेदार दल हैं, इसलिए हम इसमें भाग रहे हैं.’’
कांग्रेस नेता ने अतीत की अपनी पार्टी की सरकारों के समय ओबीसी, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए किये गए कार्यों का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यो के बारे में आपको (मंत्री) बोलने का पूरा अधिकार है. लेकिन हम पूछना चाहते हैं कि इस संविधान संशोधन की नौबत क्यों आई? चौधरी ने कहा कि 2018 में 102वां संविधान संशोशन विधेयक लाया. लेकिन पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के साथ ही राज्यों की ओबीसी सूची निर्धारित करने का अधिकार छीन लिया गया. हमने उस वक्त इस समय इस मुद्दे को उठाया था, आप रिकॉर्ड को देख सकते हैं.
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