नई दिल्ली: भारतीय राजनीति के अपराधीकरण का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश के 1700 से ज्यादा सांसदों और विधायकों पर कोर्ट में अपराध का मामला चल रहा है. केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर बताया कि देश भर के 1,765 सांसदों और विधायकों पर कोर्ट में अपराध का मामला चल रहा है. केन्द्र ने बताया कि इन लोगों पर 3,045 आपराधिक केस दर्ज हैं.

बता दें कि देश भर से 4,896 सांसद और विधायक चुने जाते हैं जिनमें से 1,765 सांसदों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं और इन पर कोर्ट में ट्रायल चल रहा है. इस हिसाब से एक तिहाई से ज्यादा 36 प्रतिशत जनप्रतिनिधियों पर अपराध के मामले दर्ज हैं. इन आरोपी सांसद और विधायकों के मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेंगे ताकि एक साल के अंदर इनका निपटारा किया जा सके.

केन्द्र ने कोर्ट में राज्यवार आपराधिक मामले वाले सांसदों और विधायकों के आंकड़े पेश किए हैं, जिसके बाद इन्हें स्पेशल कोर्ट में सुनवाई के लिए भेज दिया जाएगा. सबसे ज्यादा आपराधिक मामले यूपी के सांसदों और विधायकों पर दर्ज हैं. इसके बाद तमिलनाडु, बिहार, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और केरल हैं. हालांकि महाराष्ट्र और गोवा सरकार ने अभी तक आपराधिक मामले दर्ज वाले सांसदों और विधायकों की सूची नहीं दी है.

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) एनजीओ की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र को आदेश दिया कि वे ऐसे मामलों को देखने के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन करें. केन्द्र ने इस पर 12 फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने की योजना बनाई है, और इसके लिए 780 करोड़ रूपये का आवंटन किया है. हालांकि मामलों की संख्या को देखते हुए केन्द्र सरकार को दोगुनी फास्ट ट्रैक बनानी होंगी.

इन मामलों के लिए दिल्ली में दो स्पेशल कोर्ट बनाए जाएंगे. यहां पर 228 सांसदों के खिलाफ केस की सुनवाई की जाएगी. वहीं आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, केरल, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, यूपी और पश्चिम बंगाल में एक-एक फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाए जाएंगे.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 2014 में आदेश दिया था कि सांसद-विधायक के खिलाफ आपराधिक मामले की सुनवाई एक साल के भीतर पूरी की जाए. हालांकि इस फैसले के बाद भी इन मामलों की सुनवाई में देरी हो रही थी जिसके बाद एडीआर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फास्ट ट्रैक कोर्ट बनाने का आदेश दिया है. अब ये मामले फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेंगे.