नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हुई हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट में लगातार याचिकाएं दाखिल हो रही हैं. एक नई याचिका में दावा किया गया है कि इस हिंसा के चलते 1 लाख से ज़्यादा लोगों को घर छोड़ कर भागना पड़ा है. आज यह याचिका कोर्ट की अवकाशकालीन बेंच के सामने रखी गई. जजों ने अगले हफ्ते याचिका पर सुनवाई का आश्वासन दिया.
सामाजिक कार्यकर्ता अरुण मुखर्जी समेत 5 याचिकाकर्ताओं की तरफ से दाखिल इस याचिका में कहा गया है कि राज्य में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के लोग लगातार विपक्ष समर्थकों पर हमले कर रहे हैं. 19 लोगों की हत्या हुई है. बड़ी संख्या में लोग घायल हैं. विपक्षी पार्टी के दफ्तरों के अलावा आम नागरिकों की संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है. महिलाओं के साथ यौन हिंसा हो रही है. लेकिन पुलिस मूकदर्शक बनी बैठी है.
याचिका में यह भी कहा गया है कि लोगों को सुरक्षा देने में प्रशासन पूरी तरह विफल रहा है. उल्टे उन पर अपने साथ हुई घटनाओं की एफआईआर दर्ज न करवाने के लिए दबाव बनाया जा रहा है. पुलिस के सामने घटी गंभीर घटनाओं की भी जांच में लीपापोती हो रही है. याचिकाकर्ताओं की मांग है कि सुप्रीम कोर्ट हिंसा की जांच के लिए SIT का गठन करे. कोर्ट राज्य सरकार से कहे कि वह संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत आंतरिक सुरक्षा के अपने कर्तव्य का पालन करे. हिंसा पीड़ित लोगों की सहायता के लिए विशेष हेल्पलाइन बनाई जाए, जिसका नियंत्रण केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के हाथ में हो.
याचिकाकर्ताओं की तरफ से वरिष्ठ वकील पिंकी आनंद ने आज यह मामला जस्टिस विनीत सरन और बी आर गवई की बेंच में रखा. उन्होंने कहा- "1 लाख से अधिक लोगों को पलायन करना पड़ा है. उन्होंने राज्य के बाहर या फिर शहरों में बने शेल्टर होम में शरण ली है. जीवन के मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है. कोर्ट को तुरंत सुनवाई करनी चाहिए." जजों ने मामले को अगले हफ्ते सुनने का आश्वासन दिया. गौरतलब है कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद मारे गए बीजेपी कार्यकर्ताओं अविजीत सरकार और हरन अधिकारी के परिवार की याचिका पर भी नोटिस जारी कर चुका है. उस मामले पर भी अगले हफ्ते मंगलवार को सुनवाई है.
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