Morbi Bridge Collapse: हादसे के दिन जारी किए गए थे 3165 टिकट, टूटे थे लंगर पिन और ढीले थे बोल्ट, जांच रिपोर्ट में हुए कई और खुलासे
Morbi Bridge News: पुलिस ने कहा था कि जिस कंपनी के पास पुल की मरम्मत का काम था उसे काम पूरा करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया गया था, लेकिन कंपनी ने पुल को समय से पहले ही खोल दिया था.
Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में पुल हादसे की जांच में मरम्मत और प्रबंधन में भारी चूक का खुलासा हुआ है. मोरबी में पिछले महीने हुए इस पुल हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी. जांच में ओरेवा समूह और नगरपालिका पर सवाल उठ रहे हैं. जंग लगी केबल, मरम्मत न किए गए एंकर, ढीले बोल्ट और अप्रशिक्षित कर्मचारी, इन सब कारणों का फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की शुरुआती जांच से खुलासा हुआ है.
एफएसएल रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि धातु के नए फर्श ने पुल का वजन बढ़ा दिया. अभियोजन पक्ष के अनुसार, मरम्मत करने वाले दोनों ठेकेदार भी इस तरह की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे. पुलिस ने 30 अक्टूबर को हुए हादसे के लिए अब तक नौ लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें चार ओरेवा समूह के हैं. आरेवा समूह ब्रिटिशकालीन झूलता पुल का प्रबंधन कर रहा था.
केबल में लगा हुआ था जंग
अभियोजन पक्ष ने सोमवार को आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे मुख्य जिला एवं सत्र न्यायाधीश पी सी जोशी की अदालत में साक्ष्य के तौर पर प्राथमिक एफएसएल रिपोर्ट प्रस्तुत की. जिला सरकारी वकील विजय जानी ने कहा, "रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि जिस केबल पर पूरा पुल लटका हुआ था, उसमें जंग लग गया था. जमीन पर केबल जोड़ने वाले एंकर पिन टूट गए थे जबकि एंकर पर लगे बोल्ट तीन इंच ढीले थे." अदालत बुधवार को जमानत अर्जी पर आदेश जारी कर सकती है.
30 अक्टूबर को 3,165 टिकट बेचे थे
विजय जानी ने कहा, "समूह ने 30 अक्टूबर को 3,165 टिकट बेचे थे और पुल के दोनों ओर टिकट बुकिंग कार्यालयों के बीच कोई समन्वय नहीं था." उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए जा चुके बुकिंग क्लर्क को टिकटों की बिक्री बंद कर देनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने टिकट बेचना जारी रखा और अधिक लोगों को पुल पर जाने दिया.
गिरफ्तार लोगों में ओरेवा समूह के प्रबंधक दीपक पारेख और दिनेश दवे, व मरम्मत करने वाले ठेकेदार प्रकाश परमार, देव प्रकाश सॉल्यूशन के मालिक देवांग परमार शामिल हैं, जिन्हें ओरेवा ने पुल की मरम्मत कार्य के लिए रखा था. पुल को मरम्मत के चार दिन बाद खोल दिया गया था. सुनवाई के दौरान, दीपक पारेख ने ओरेवा समूह से देव प्रकाश सॉल्यूशन को जारी एक खरीद आदेश संलग्न किया, जिसमें कहा गया कि पुल के फर्श को तोड़ने के बाद नवीनीकरण किया जाएगा.
ठेकेदार नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे
वकील विजय जानी ने कहा, "देव प्रकाश सॉल्यूशन ने स्वीकार किया है कि उसने केवल फर्श बदला. एफएसएल रिपोर्ट के मुताबिक, धातु के नए फर्श ने पुल का वजन बढ़ा दिया. इसके अलावा, मरम्मत करने वाले दोनों ठेकेदार इस तरह की मरम्मत और नवीनीकरण कार्य करने के लिए योग्य नहीं थे." प्राथमिकी के अनुसार, एक केबल टूटने के बाद पुल के गिरने के समय कम से कम 250 से 300 लोग वहां मौजूद थे. रिपोर्ट से यह भी पता चला कि ओरेवा समूह ने लोगों के लिए इसे खोलने से पहले पुल की भार वहन क्षमता का आंकलन करने के संबंध में किसी विशेषज्ञ एजेंसी को काम पर नहीं रखा था.
कोई लाइफगार्ड या नाव तक नहीं थी
रिपोर्ट में कहा गया है कि गार्डों को सुरक्षा प्रोटोकॉल या पुल पर कितने लोगों को अनुमति दी जानी चाहिए, इसके बारे में कभी नहीं बताया गया. सरकारी वकील विजय जानी ने कहा कि ओरेवा सुरक्षा के लिए जिम्मेदार था, लेकिन उन्होंने दुर्घटना की स्थिति में लोगों को बचाने के लिए कोई लाइफगार्ड या नाव तक नहीं रखी.
बिना फिटनेस प्रमाणपत्र लिए पुल खोला
पुल को फिर से खोलने के चार दिन बाद ही गिर गया था. अनुबंध के अनुसार इसे आठ से 12 महीनों के लिए बंद रखा जाना था, लेकिन स्थानीय नागरिक निकाय से बिना किसी फिटनेस प्रमाणपत्र लिए सात महीने बाद इसे फिर से खोल दिया गया.
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