नई दिल्ली: भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग के केस को खत्म करने से इनकार कर दिया है. मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और अन्य के खिलाफ आय के ज्ञात स्रोत से अधिक करीब 10 करोड़ रुपए की संपत्ति इकट्ठा करने का आरोप है. इस संबंध में सीबीआई की ओर से आरोप पत्र दाखिल किए गए थे.
मामले में सीबीआई ने वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह के अलावा जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के एजेंट आनंद चौहान, उनके सहयोगी चुन्नी लाल, जोगिंदर घालटा, प्रेम राज, लवन कुमार रोच, वकमुल्लाह चंद्रशेखर और राम प्रकाश भाटिया के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था.
आरोप है कि 28 मई, 2009 से 26 जून, 2012 तक केंद्रीय इस्पात एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री ने आपराधिक कदाचार को अंजाम दिया. वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह और आठ अन्य आरोपियों ने उनकी (वीरभद्र) रकम को अपनी पत्नी, बेटी और बेटे के नाम पर निवेश कर अपराध के लिए उकसाया था.
सीबीआई ने आरोप लगाया था कि सह-आरोपी प्रतिभा सिंह ने इरादतन काले धन को अपने तथा अपने बच्चों के नाम पर निवेश करने के लिए वीरभद्र सिंह को अपराध करने के लिए प्रेरित किया. सीबीआई ने वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पर आय से अधिक संपत्ति को कृषि आय के रूप में न्यायोचित ठहराने का प्रयास करने का आरोप लगाया.