नई दिल्ली: 'दलित' की जगह अनुसूचित जाति का इस्तेमाल किये जाने की कोर्ट और सरकार की सलाह पर दलित नेताओं ने आपत्ति जताई है और कहा है कि वे इसके विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे. केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री और आरपीआई अध्यक्ष रामदास अठावले ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ द्वारा बोलचाल में और मीडिया में दलित शब्द के इस्तेमाल पर पाबंदी लगाए जाने के निर्णय के खिलाफ उनकी पार्टी आरपीआई (ए) सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी।
अठावले ने एक बयान में कहा, ''सरकारी कामकाज में अनुसूचित जाति शब्द का इस्तेमाल उचित है और मैं इससे सहमत हूं लेकिन व्यवहारिक भाषा में दलित शब्द का इस्तेमाल करने या नहीं करने का निर्णय आम जनमानस के ऊपर छोड़ देना चाहिए.'' उन्होंने कहा, ''मैं दलित पैंथर का नेता रहा हूं. दलित शब्द केवल एक जाति विशेष के लिए नहीं बना है बल्कि गरीब, मजदूर ,किसान ,झुग्गी झोपड़ी एवं समाज की मुख्यधारा से वंचित रहने वाले व्यक्ति दलित होते हैं, और दलित शब्द से समाज के युवा अपने आपको गौरवान्वित भी महसूस करते हैं और आगे बढ़ने के लिए निरंतर प्रयासरत रहते हैं.'' दरअसल, बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय मीडिया को 'दलित' शब्द का इस्तेमाल बंद करने के लिए निर्देश जारी करने पर विचार करे. जिसके बाद केंद्रीय मंत्रालय ने मीडिया चैनल को एडवाइजरी जारी कर कहा कि वे दलित शब्द के इस्तेमाल से बचें. एडवाइजरी में बॉम्बे हाईकोर्ट की सलाह का भी उल्लेख किया गया है. सरकार की सलाह पर बीजेपी के सांसद ने भी आपत्ति जताई है. पार्टी सांसद उदित राज ने कल कहा था, ''दलित का मतलब अनुसूचित वर्ग होता है. दलित शब्द का व्यापक इस्तेमाल होता है और यह स्वीकार्य भी है. इस संबंध में मंत्रालय की एडवाइजरी तो ठीक है लेकिन इसको अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए.'' वहीं दलित नेता और गुजरात से निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने कहा कि 'दलित' शब्द हमारी राजनैतिक पहचान है और यह पहचान हमने दशकों के संघर्ष के बाद अर्जीत की है. यह भी याद रहे कि 'दलित' शब्द को लोकप्रिय करने का श्रेय खुद बाबा साहब को जाता है. शिड्यूल कास्ट शब्द के प्रयोग से लगता है की मानो सरकारी योजना का पर्चा भर रहे हों. दलित शब्द में एक वजन है.अनुसूचित जाति को लेकर सरकार की सलाह पर उदित राज ने कहा- एडवाइजरी ठीक है लेकिन....
उन्होंने कहा, ''आज जब दलित शब्द के प्रयोग को लेकर बहस छिड़ी ही है और स्वाभाविक रूप से दलित समाज के लोग शिड्यूल कास्ट से बजाय 'दलित' शब्द के प्रयोग को बेहतर मानते है तब यह भी हमारे दिलों दिमाग में होना चाहिये की अंततोगत्वा ऐसे समाज का निर्माण करना है जिस में न कोइ दलित हो न सवर्ण -केवल इंसान हो.''
जिग्नेश ने आगे कहा, ''हमारे समाज में खुद की पहचान के लिए 4 शब्दों का प्रयोग होता है - दलित, बहुजन, मूलनिवासी और शिड्यूल कास्ट. हमारा सिर्फ इतना कहना है कि आप इन चारों में से चाहे वह शब्द का प्रयोग खुद के लिए करो लो, लेकिन असली मुद्दा यह है कि जाति निर्मूलन होना चाहिए, शोषण मुक्त समाज बनना चाहिए.
'दलित' शब्द हमारी राजनैतिक पहचान है और यह पहचान हमने दशकों के संघर्ष के बाद अर्जीत की है. यह भी याद रहे कि 'दलित' शब्द को लोकप्रिय करने का श्रेय खुद बाबा साहब को जाता है. शिड्यूल कास्ट शब्द के प्रयोग से लगता है की मानो सरकारी योजना का पर्चा भर रहै हो. दलित शब्द में एक वज़न है.''