जम्मू: भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता ही शांति का एकमात्र तरीका होने की बात पर बल देते हुए जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सुझाव दिया कि केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को अटल बिहारी वाजपेयी की नीति अपनानी चाहिए. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कारगिल अटैक और संसद पर हमले के बावजूद धर्य बरता था.

मुख्यमंत्री महबूबा ने पाकिस्तान को उसका वह वादा पूरा नहीं करने के लिए आड़े हाथ लिया. जिसमें पाकिस्तान ने वाजपेयी के समक्ष वादा किया था कि पाकिस्तान की भूमि को भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

युद्ध किसी समस्या का विकल्प नहीं होने की बात पर बल देते हुए महबूबा ने कहा, ‘‘हम युद्ध की मुद्रा में कब तक रह सकते हैं. वार्ता शांति लाने का एकमात्र समाधान है.’’ वाजपेयी के कदमों का उल्लेख करते हुए महबूबा ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा 1999 में कारगिल आक्रमण करने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के पास बड़ा युद्ध करने के सभी कारण थे किन्तु उन्होंने ऐसा नहीं किया.

मुख्यमंत्री मुफ्ती ने कहा, ‘‘इसके बाद संसद हमला हुआ. फिर भी उन्होंने धर्य को चुना और कहा कि मित्र बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं.’’ जम्मू कश्मीर की सीएम ने 1947 के शरणार्थियों के कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए यह बात कही.

मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके बाद ही पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने घोषणा की कि पाकिस्तान की भूमि का उपयोग भारत के विरूद्ध नहीं करने दिया जाएगा जिसके परिणामस्वरूप जम्मू कश्मीर में आतंकवाद में कमी आयी. उन्होंने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार को भी इसी दिशा में सोचना चाहिए ताकि पाकिस्तान को उस स्तर पर लाया जा सके जैसा कि वाजपेयी के काल में देखा गया.’’