नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं को दीर्घकालिक कर्ज सुलभ कराने के उद्येश्य से एक नया विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) गठित करने से संबंधित विधेयक के मसौदे को मंगलवार को मंजूरी दे दी. सरकार ने 2025 तक ढांचागत क्षेत्र में 111 लाख करोड़ रुपये के निवेश की योजना बनायी है, उस लिहाज से यह कदम महत्वपूर्ण है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को पेश 2021-22 के बजट में विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) गठित करने का प्रस्ताव किया था. प्रस्तावित विधेयक उसी घोषणा को अमल में लाने के लिए है. सरकार ने इस नए संस्थान के लिये 20 हजार करोड़ रुपये की पूंजी का प्रस्ताव किया है.
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद फैसले की जानकारी देते हुए वित्तमंत्री सीतारमण ने कहा, ‘‘मुझे खुशी है कि मंत्रिमंडल डीएफआई के गठन के लिये विधेयक को मंजूरी दे दी है. इससे हमारे पास संस्थान और संस्थागत व्यवस्था होगी जिससे दीर्घकालीन पूंजी जुटाने में मदद मिलेगी.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इसकी घोषणा बजट में की थी. हमारी तरफ से इसमें 20,000 करोड़ रुपये की पूंजी डाली जाएगी.’’ वित्त मंत्री के अनुसार उन्हें उम्मीद है कि प्रस्तावित संस्थान अगले कुछ साल में 3 लाख करोड़ रुपये तक की पूंजी जुटा पाएगी क्योंकि उसके पास बाजार कोष तक पहुंच होगी.
डीएफआई को 10 साल के लिये कर लाभ भी मिलेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि बड़े पेंशन कोष, सरकारी कोष आगे आएंगे...क्योंकि हम उन्हें राष्ट्रीय बुनियादी ढांचा निवेश कोष आकर्षिक करने में सक्षम होंगे.’’
एक सवाल के जवाब में सीतारमण ने कहा कि डीएफआई का प्रबंधन पेशेवर बोर्ड करेगा. इसमें कम-से-कम 50 प्रतिशत गैर-आधिकारिक निदेशक होंगे. उन्होंने कहा कि निदेशक मंडल में प्रख्यात लोगों को रखने की संकल्पना की गयी है. चेयरपर्सन भी चर्चित व्यक्ति होंगे. बेहतर प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए पारितोषिक बाजार के अनुरूप होगा.
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