नई दिल्ली: यौन उत्पीड़न के खिलाफ चल रहे #MeToo कैंपेन की ज़द में आए विदेश राज्यमंत्री एमजे अकबर क्या इस्तीफा देंगे? यह बड़ा सवाल बना हुआ है. अकबर आज विदेश दौड़े से लौटे हैं. एयरपोर्ट पर जब पत्रकारों ने पूरे मामले पर जवाब मांगा तो उन्होंने चुप्पी साधे रखी. अकबर ने सिर्फ इतना कहा, 'वह बाद में बयान देंगे.'
उनके खिलाफ 10 से अधिक महिला पत्रकारों ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए हैं. यह मामला तब का है जब एमजे अकबर शीर्ष मीडिया संस्थानों में कार्यरत थे. कांग्रेस समेत अन्य विपक्ष दलों में एमजे अकबर से इस्तीफे और पूरे मामले की जांच की मांग की है.
बीजेपी के कई नेता यह कहकर इशारों-इशारों में अकबर का बचाव करते रहे हैं कि उनपर जो भी आरोप लगे हैं वे पुराने हैं, यानि सरकार में शामिल होने के बाद के नहीं है. पूर्व पत्रकार एमजे अकबर 2014 चुनाव से ठीक पहले बीजेपी में शामिल हो गए थे.
पार्टी सूत्रों का कहना है कि उनके (एमजे अकबर) खिलाफ गंभीर आरोप हैं और लगता नहीं कि मंत्री के तौर पर वह लंबे समय तक पद पर रह पाएंगे. उन्होंने कहा कि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेना है. पार्टी के भीतर इस तरह की भी राय है कि चूंकि उनके खिलाफ कोई कानूनी मामला नहीं है और जो आरोप उनके खिलाफ लगे हैं, वो मंत्री बनने से बहुत पहले का है.
अकबर के खिलाफ लगे आरोपों पर कोई रूख अपनाए बिना कुछ महिला मंत्रियों ने मी टू अभियान को अपना समर्थन दिया है. पार्टी के नेताओं का कहना है कि सबसे पहले अकबर को ही आरोपों पर जवाब देना है.
कल बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा था, ''देखना पड़ेगा कि यह सच हैं या गलत. हमें उस शख्स के पोस्ट की सत्यता जांचनी होगी, जिसने आरोप लगाए हैं. मेरा नाम इस्तेमाल करते हुए भी आप कुछ भी लिख सकते हैं.'' केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पर कम से कम आठ महिला पत्रकारों ने यौन शोषण के आरोप लगाए हैं. कांग्रेस समेत अन्य दलों ने अकबर के इस्तीफे और जांच की मांग की है.
MeToo: अमित शाह बोले- एमजे अकबर पर लगे आरोपों को देखना पड़ेगा, ये सच है या गलत