नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों को निशाना बनाये जाने की घटनाओं के मद्देनजर 11 राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को ‘‘तत्काल’’ आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए है. मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने जिन राज्यों में कश्मीरियों को धमकी देने और उनके खिलाफ हिंसा की घटनाएं हुई हैं, उनसे जवाब मांगा. पीठ ने निर्देश दिया कि पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं से निपटने के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किये गये पुलिस अधिकारी अब कश्मीरियों पर हमलों के मामलों से निपटने के लिए जिम्मेदार होंगे.
गृह मंत्रालय को व्यापक प्रचार करने का निर्देश
एक याचिका पर सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार, जम्मू कश्मीर, हरियाणा, मेघालय, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ ही दिल्ली के पुलिस आयुक्त को कश्मीरी छात्रों सहित कश्मीरियों को धमकी देने, उनसे मारपीट करने और उनका सामाजिक बहिष्कार करने की घटनाओं की रोकथाम के लिये कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. पीठ ने केन्द्रीय गृह मंत्रालय को इसका व्यापक प्रचार करने का निर्देश दिया ताकि कश्मीरी लोग इस तरह की घटना होने की स्थिति में नोडल अधिकारी से संपर्क कर सकें.
तारिक अदीब की याचिका पर सुनवाई करते हुए SC ने दिया निर्देश
पीठ ने कहा कि राज्यों के मुख्य सचिवों, पुलिस महानिदेशकों और दिल्ली के पुलिस आयुक्त को कश्मीरी जनता और अन्य अल्पसंख्यकों को धमकी देने, उनसे मारपीट करने और उनका सामाजिक बहिष्कार करने जैसी घटनाओं को रोकने के लिये तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया जाता है. पीठ अधिवक्ता तारिक अदीब की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे पुलवामा में 14 फरवरी को आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद हो जाने की घटना के बाद कश्मीरियों के खिलाफ कथित रूप से हो रही इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिये केन्द्र और राज्यों को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.
महबूबा मुफ्ती ने क्या ट्वीट किया है?
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का स्वागत किया. पीडीपी प्रमुख महबूबा ने ट्विटर पर कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश पर राहत महसूस की कि यह सुनिश्चित हो कि जम्मू कश्मीर से बाहर मौजूद कश्मीरी छात्रों का उत्पीड़न या सामाजिक बहिष्कार नहीं हो. माननीय न्यायपालिका ने निर्णायक कदम उठाया लेकिन शर्मनाक है कि अन्य ने आराम से इसे नजरअंदाज कर दिया.’’
नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि वह इस कदम के लिए सुप्रीम कोर्ट के आभारी हैं लेकिन यह काम केन्द्र की सरकार को करना चाहिए था. अब्दुल्ला ने ट्वीट किया, ‘‘जो काम दिल्ली के निर्वाचित नेतृत्व को करना चाहिए था, उसे करने के लिए माननीय सुप्रीम कोर्ट का आभार. केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री इससे इंकार करने में लगे हैं और राज्यपाल धमकियां देने में व्यस्त हैं. माननीय सुप्रीम कोर्ट का कदम उठाने पर धन्यवाद.’’
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्साल्विज ने दावा किया कि यह याचिका दायर करने के बाद विभिन्न राज्यों में इस तरह के हमलों की दस से अधिक घटनायें हो चुकी हैं और इसलिए इन पर प्रभावी तरीके से अंकुश लगाने के लिये तत्काल निर्देश देने की आवश्यकता है.
केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि गृह मंत्रालय ने 17 फरवरी को ही राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को इस संबंध में आवश्यक परामर्श जारी कर दिया है. उन्होंने कहा कि केन्द्र ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को परामर्श जारी किया है परंतु हम राज्यों को ऐसा निर्देश नहीं दे सकते कि ऐसी घटनाओं की स्थिति में किस तरह की कार्रवाई की जानी चाहिए क्योंकि कानून व्यवस्था राज्य का विषय है.
कश्मीरियों और अन्य अल्पसंख्यकों से जुड़ी घटनाओं के मामलों को देखेंगे पुलिस अधिकारी
पीठ ने इन दलीलों का संज्ञान लेते हुये अपने पहले के फैसले का जिक्र किया जिसमे उसने राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को प्रत्येक जिले में भीड़ की हिंसा के मामलों से निबटने के लिये वरिष्ठ पुलिस अधिकारी को नियुक्त करने को कहा था. पीठ ने कहा कि हाल ही में हुये आतंकी हमले की घटना के मद्देनजर ये पुलिस अधिकारी कश्मीरियों और अन्य अल्पसंख्यकों से जुड़ी ऐसी घटनाओं के मामलों को देखेंगे. पीठ इस मामले में अब बुधवार को आगे विचार करेगी.
पुलवामा आतंकी हमले के बाद कश्मीरियों पर हुये हमले की घटनाओं के आलोक में दायर याचिका में केन्द्र और दूसरे प्राधिकारियों को नफरत फैलाने वाले भाषण देने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने और प्रत्येक राज्य में एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.
याचिका में तत्काल ही राष्ट्रव्यापी हेल्पलाइन नंबर शुरू करने के साथ ही एक वेबसाइट पर राजनीतिक दृष्टि से संवेदनशील जिलों में नियुक्त नोडल अधिकारियों के संपर्क का विवरण उपलब्ध कराने का भी अनुरोध किया गया है.
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