नई दिल्ली: जब संसद में सरकार बहुमत के बूते जीत गई, विपक्ष हार गया और नागरिकता संशोधन बिल कानून बन गया तो विरोधियों ने विरोध के लिए विधानसभा का रास्ता चुना है. कानून को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक के दर पर गए हैं. लेकिन बड़ा सवाल है कि जिस कानून को केंद्र सरकार ने संसद में बनाया है क्या राज्य सरकारें उसे मानने से इनकार कर सकती हैं? 22 जनवरी को इस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. विपक्ष की उस दलील पर अब कोर्ट फैसला करेगा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) संवैधानिक है या असंवैधानिक है.


सीएए के खिलाफ विरोध की आवाज थम नहीं रही. सड़क से होते हुए संसद और विधानसभाओं के बीच की लड़ाई में बदल चुकी है. केरल, पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड और महाराष्ट्र ये राज्य नागरिकता कानून के विरोध में खड़े हो गए हैं.


केरल में 31 दिसंबर को विधानसभा से सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया. पंजाब में 17 जनवरी को विधानसभा से प्रस्ताव पास किया गया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी सीएए के खिलाफ प्रस्ताव लाने की तैयारी कर रही हैं. सीएए के खिलाफ सबसे मजबूत आवाज बन चुकी ममता बनर्जी ने बाकी राज्यों से भी प्रस्ताव पारित करने की अपील की है. ममता बनर्जी ने कहा कि हमारा पहला राज्य है जिसने कैब और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किया. हम सीएए के खिलाफ भी प्रस्ताव लाएंगे. दूसरे राज्यों से भी अपील है कि वो विधानसभा से प्रस्ताव पास करें.


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अब कांग्रेस के राज वाले तीन और राज्यों में सीएए के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने का फैसला किया गया है. राजस्थान में सीएए के खिलाफ पास होगा प्रस्ताव होगा. 24 जनवरी से राजस्थान का विशेष सत्र शुरू होगा. मध्यप्रदेश में भी प्रस्ताव पास होगा. छत्तीसगढ़ में भी प्रस्ताव पास किया जाएगा. महाराष्ट्र में भी कांग्रेस प्रस्ताव पास कराना चाहती है लेकिन गठबंधन के साथियों साथ ही फैसला लिया जाएगा. कुल मिलाकर एक कानून को लेकर कई राज्य और केंद्र आमने-सामने हैं. सवाल है कि क्या संसद से पास कानून को राज्य विधानसभा मानने से इनकार कर सकती हैं.


7वीं अनुसूची के मुताबिक संघ सूची में केंद्र को कानून बनाने का अधिकार है. 97 विषयों पर केंद्र कानून बना सकता है. 17वें नंबर पर नागरिकता का विषय है. राज्य इन कानूनों को मानने के लिए बाध्य हैं. राज्य सूची में राज्य को कानून बनाने का अधिकार. 66 विषयों पर राज्य कानून बना सकता है. वहीं, समवर्ती सूची में केंद्र और राज्य दोनों को कानून बनाने का अधिकार है. 47 विषयों पर दोनों को कानून बनाने का अधिकार है.


लेकिन संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केरल सरकार ने CAA को खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. 22 जनवरी को सुनवाई होगी और कपिल सिब्बल सीएए का विरोध करेंगे. कपिल सिब्बल ने कहा कि अभी तो 22 तारीख को सुप्रीम कोर्ट में मेरी बहस है. कानून तो लागू ही नहीं हुआ है. कानून तो एनपीआर से जुड़ा है जो एक अप्रैल 2020 से शुरू होगा. अगर सुप्रीम कोर्ट ये कह देता है कि कानून संवैधानिक है तब जाकर देखना पड़ेगा कि राज्य क्या करती है.