नई दिल्ली: पिछले एक महीने से शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है. बड़ी संख्या में महिलाएं यहां शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रही हैं. अब यही देश के कई शहरों में हो रहा है. कोलकाता के पार्क सर्कस मैदान से, गया के शांति बाग से, यूपी के प्रयागराज से, कर्नाटक के मैंगलोर से ऐसी तस्वीरें आती जा रही हैं. हर जगह शाहीन बाग की तरह ही महिलाओं ने प्रदर्शन का मोर्चा संभाला हुआ है. सवाल है कि क्या ये सिर्फ लोगों का आंदोलन है ये इसके पीछे कोई बड़ा सियासी खेल खेला जा रहा है.
आज पंजाब से आए संगठन ने शाहीन बाग में जारी प्रदर्शन का समर्थन किया. शाहीन बाग के धरने के बहाने जमकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने विवादित बयान दे दिया. उधर पुलिस-प्रशासन की अपील के बाद भी प्रदर्शनकारी सड़क खोलने को तैयार नहीं हैं. शाहीन बाग के आसपास ट्रैफिक जाम से लोगों को परेशानी हो रही है. आज दिन भर ट्विटर पर #हर_शहर_शाहीन_बाग ट्रेंड करता रहा.
दिल्ली के शाहीन बाग ने विरोध प्रदर्शन का जो रास्ता दिखाया उस तर्ज पर कई जगह प्रदर्शन शुरू हो गये हैं. कल रात दिल्ली के खुरेजी में बड़ी संख्या में महिलाएं नागरिकता कानून के खिलाफ सड़कों पर आ गयीं. यूपी के प्रयागराज में ऐसा ही एक धरना शुरू हो गया है . दो दिन पहले बिहार के गया में भी महिलाओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया है.
सवाल है कि ऐसे प्रदर्शनों के पीछे कौन है, आखिर क्यों शाहीन बाग शांत नहीं हो पा रहा, पुलिस और प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद लोग पीछे हटने को तैयार नहीं, रास्ता छोड़ने को राजी नहीं हैं. क्या जानबूझ कर लोगों को उकसाया जा रहा है?
कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर ने 'कातिल' वाले इस बयान के लिए शाहीन बाग के उसी मंच को चुना जहां महिलाएं शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहीं हैं. कहने को इस प्रदर्शन का कोई नेता नहीं, इसके पीछे कोई राजनीति नहीं फिर क्यों एक के बाद एक मोदी विरोधी नेता यहां आते हैं और भड़काऊ भाषण देते हैं. शाहीन बाग के धरने में आने वाले ज्यादातर वही लोग हैं जो मोदी सरकार के खिलाफ हैं. जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष आइशी घोष भी कल रात यहां पहुंची और शाहीन बाग के आंदोलन को जिंदा रखने की अपील की.
करीब एक महीने से चल रहे शाहीन बाग के इस धरने के कारण कालिंदी कुंज की सड़क बंद पड़ी है, लोग घंटो के जाम में फंस रहे हैं और यहां सड़क पर ही लंगर बन रहा है. पंजाब से आए लोग शाहीन बाग के धरने को सही मानते हैं और उसे अपना समर्थन देना चाहते हैं.
नागरिकता कानून के विरोध के नाम पर शाहीन बाग में शुरू हुआ ये धरना अब एक अलग ही रंग लेता जा रहा है. बड़ी संख्या में महिलाओं और बच्चों की मौजूदगी प्रशासन के लिए चुनौती बन गयी है. इसीलिए अब इसे मॉडल बनाकर शहर शहर ऐसा ही आंदोलन करवाने की कोशिश हो रही है.
यह भी देखें