Marksman Bullet Proof SUV: सुरक्षाबलों को निशाना बनाने की आतंकवादी रणनीति के बीच भारतीय सेना (Indian Army) में एक और स्वदेशी दमदार वाहन शामिल हुआ है. अब सुरक्षाबलों के लिए महिंद्रा मोटर्स द्वारा निर्मित बुलेट प्रूफ "मार्क्समैन" वाहन उपलब्ध कराई गई है. इस पर ना बम और ना गोली का असर होता है. घाटी में आतंकवाद विरोधी अभियानों में सबसे आगे रहने वाली सेंट्रल रिजर्व पुलिस को 300 ऐसे वाहन दिए गए है. 


करीब 40 लाख की कीमत वाली नए जमाने की यह बुलेट प्रूफ गाड़ी- महिंद्रा मार्क्समैन अभी तक इस्तेमाल होने वाली जिप्सी और स्कार्पियो से बहुत तेज है. यह वाहन 120 किमी प्रति घंटे की शीर्ष गति के साथ छोटी गलियों, कच्ची सड़कों और राजमार्गों में यात्रा कर सकता है. बुलेट प्रूफ वाहन में LEVEL-B6 का कवच दिया गया है जिससे जवानों को मशीन गन और राइफलों से फायरिंग के खिलाफ चारों ओर सुरक्षा मिलती है जबकि इसे इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (आईईडी) और हैंड ग्रेनेड ब्लास्ट के खिलाफ फ्लोर ब्लास्ट प्रोटेक्शन से भी लैस किया गया है.


आतंकवादी स्टील की गोलियों का इस्तेमाल करते 


महिंद्रा मार्क्समैन एक मशीन गन माउंट, छत और ऊर्ध्वाधर के साथ यात्री डिब्बे के पांच साइड आर्मरिंग, सात फायरिंग क्रू पोर्ट, एक रियर-व्यू कैमरा और एक एलसीडी स्क्रीन से लैस है. इसलिए यह वाहन पूरी तरह से बुलेटप्रूफ है और इसमें धमाकों और स्टील की गोलियों का असर नहीं होता है. पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुरक्षा बलों को बुलेट प्रूफिंग कवच की विफलता के कारण कई हताहतों का सामना करना पड़ा है क्योंकि आतंकवादियों ने स्टील की गोलियों का उपयोग करना शुरू कर दिया है. ये उन्नत गोलियां पारंपरिक कवच में प्रवेश कर सकती हैं जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा बलों को काफी नुक्सान उठाना पड़ता था. 


इस तरह के किसी भी हमले की संभावना को कम करने के लिए नए वाहनों को पैन-टिल्ट-ज़ूम (पीटीजेड) कैमरों के साथ रन-फ्लैट टायर सिस्टम जैसे बेहतर सुरक्षा उपाय भी प्रदान किए गए हैं. फ्लैट टायर सिस्टम का मतलब है कि अगर गोलियां बम हैं तो आतंकी हमलों या ऑपरेशन के दौरान टायरों को नुकसान होने पर वाहन नहीं रुकेगा.


गाड़ी कच्ची सड़क से लेकर हाईवे पर चल सकती है


पहले चरण में CRPF को अभी तक 60 वाहन मिले हैं जो कश्मीर घाटी के विभिन आतंकवाद ग्रस्त इलाकों के साथ-साथ श्रीनगर में भी तैनात किये गए है. ऐसी ही एक गाड़ी के चालक कृष्ण कुमार के अनुसार बुलेट प्रतिरोधी गाड़ी को शामिल करने से आतंकवाद विरोधी अभियानों और आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों की प्रभावशीलता में और वृद्धि होगी.


किशन कुमार ने कहा, "यह गाड़ी कच्ची सड़क से लेकर हाईवे और गलियों में आसानी से जा सकती है जहां आम तौर पर आतंकी छुपे होते हैं. इस गाड़ी पर आतंकियों के द्वारा चलाये जानी वाली स्टील बुलेट का भी असर नहीं होता तो हम भी अपने आप को ज्यादा सुरक्षित महसूस करते है" एबीपी न्यूज से बात करते हुए सीआरपीएफ यूनिट के डिप्टी कमांडेंट अनूप कुमार ने नए वाहनों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि वाहन पूरी तरह से बुलेट प्रूफ हैं और उन्नत तकनीक से लैस हैं इसलिए सेना पूरी ताकत के साथ आतंकवादी गतिविधियों से लड़ने में सक्षम है.


आतंकवादियों से लड़ने में सक्षम हैं


इस वाहन में लगे पीटीजेड कैमरे जवानों को ऑपरेशन के दौरान दुश्मन की हर गतिविधि पर नजर रखने में सक्षम बनाते हैं. इतना ही नहीं, चूंकि गोलियों या बमों के यात्री कक्ष में प्रवेश करने की कोई संभावना नहीं है जहां जवान काम करते हैं. ये वाहन मुठभेड़ स्थलों के बहुत करीब जा सकते हैं जिससे सुरक्षा बलों को ऑपरेशन को जल्दी से समाप्त करने में मदद मिलती है. 


इस वाहन के शामिल होने के बाद आतंकवाद विरोधी अभियान में शामिल जवानों के मुताबिक न तो ग्रेनेड का डर है और न ही स्टील की गोलियों का. अनूप कुमार ने कहा, "हमारा जीवन सुरक्षित है और अब हम मुठभेड़ स्थलों के पास आसानी से आतंकवादियों से लड़ने में सक्षम हैं."


सुरक्षाबलों का मानना है कि अगर ऐसे वाहनों को और बनाया जा रहा है तो आतंकवाद विरोधी अभियानों में आतंकियों को खत्म करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा. आने वाले दिनों में आतंकी वरोधी ऑपरेशन में ना सिर्फ तेज़ी आएगी साथ ही और ज़ायदा घातक भी हो जाएंगे.