नई दिल्ली: देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न मिलना किसी के लिए भी सबसे बड़े सम्मान की बात होती है लेकिन एक बार फिर यह सम्मान विवादों में घिर गया है. इस बार यह सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि गायक और संगीतकार भूपेन हज़ारिका के पुत्र तेज हज़ारिका ने अपने पिता की ओर से भारत रत्न लेने से इनकार कर दिया है. सरकार ने हाल में ही भूपेन हज़ारिका को स्ममान देने की छोषणा की थी.

भूपेन हजारिका के बेटे तेज हजारिका ने कहा, ''हम भारत रत्न का सम्मान स्वीकार नहीं करेंगे और नागरिक संशोधन बिल के विरोध में अवॉर्ड को वापस लौटाएंगे.' एक ओर बेटा जहां सम्मान वापसी की बात कह रहा है तो दूसरी ओर भूपेन हजारिका के भाई समर हजारिका ने भारत रत्न सम्मान को असम के लिए गौरव बताया है.

ऐसा नहीं कि यह पहला मौका है जब भारत रत्न को लेकर विवाद हुआ है. इस अवॉर्ड को लेकर इससे पहले भी कई मौकों पर विवाद हो चुका है. आईए जानते हैं वो मौके कौन से हैं ?

कुमारस्वामी कामराज

भारतीय राजनीति और स्वतंत्रता संग्राम में अहम भूमिका निभाने वाले कुमारस्वामी कामराज के नाम से हर कोई परिचित है. कांग्रेस पार्टी को बनाने में भी इनका बड़ा योगदान रहा है. नेहरू हो या शास्त्री या फिर खुद इंदिरा गांधी सबको प्रधानमंत्री बनाने में उनकी भूमिका रही. कामराज्य कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे. इसके साथ ही वो तीन बार मद्रास जो अब तमिलनाडू बन गया है वहां के मुख्यमंत्री भी बने.

1975 में उनके निधन के बाद 1976 में इंदिरा गांधी की सरकार ने उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया था. उस वक्त इस पर विवाद हुआ था. लोगों का कहना था कि इंजिरा गांधी ने 1977 के तमिलनाडु विधानसभा चुनावों में राज्य के मतदाताओं को लुभाने के लिए ऐसा किया था.

एमजी रामचंद्रन तमिल फिल्मों के सुपरस्टार और बाद में मुख्यमंत्री बने एमजी रामचंद्रन (एमजीआर) को भारत रत्न देने पर भी विवाद हुआ था. दरअसल उनको 1987 में 1988 में मरणोपरांत भारत रत्न दिया गया. इसके ठीक एक साल बाद तमिलनाडु में चुनाव होने थे. इसलिए तत्कालीन केंद्र की राजीव गांधी सरकार पर आरोप लगा कि उसने राज्य के मतदाताओं को ख़ुश करने के लिए रामचंद्रन को भारत रत्न दिया.

भीमराव अंबेडकर

संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर की भारत रत्न के प्रबल दावेदार हो शायद ही इस बात पर कोई सवाल उठाए. लेकिन उनको भी इस सर्वोच्च सम्मान देने के समय को लेकर सवाल उठाया गया. दरअसल उन्हें यह सम्मान उनके जीवित रहते नहीं दिया गया. 1990 की बात है तब केंद्र में वीपी सिंह की सरकार थी और उन्होंने अंबेडकर को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाज़ा था.

उस समय कहा गया था कि उन्हें जीते जी यह सम्मान न देने से दलित मतदाता नाराज थे और इसलिए ही तत्कालीन सरकार ने मतदाताओं को रिझाने के लिए यह सम्मान दिया.

सुभाष चंद्र बोस

स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस को भी जब भारत रत्न देने की बात हुई तब विवाद हो गया. विवाद ऐसा हुआ कि आजतक सुभाष चंद्र बोस को सम्मान नहीं दिया गया. दरअसल उन्हें जनवरी, 1992 में यह सम्मान दिए जाने की घोषणा की गई थी. विवाद यह था कि उन्हें ‘मरणोपरांत’यह सम्मान दिया जा रहा था. सरकार के पैसले के बाद एक याचिकाकर्ता ने याचिका दायर की कि सरकार ने अभी तक यह माना ही नहीं कि 18 अगस्त, 1945 को एक विमान दुर्घटना में बोस की मृत्यु हो गई थी. इसके तुरंत बाद नेताजी के परिवार ने यह सम्मान लेने से इनकार कर दिया था.

सचिन तेंदुलकर

क्रिकेट के भगवान सचिन तेंदुलकर को साल 2013 में भारत रत्न देने की घोषणा हुई थी. वे इस सम्मान को पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति थे. उनको यह सम्मान मिलने पर इसलिए विवाद हुआ क्योंकि उनके लिए पुरस्कार से संबंधित नियमों तक में बदलाव कर दिया गया था. बता दें कि यह सम्मान पहले खेल के क्षेत्र मेंनहीं मिलता था.

इसका विरोध करनेवालें लोगों का यह भी कहना था कि यह सम्मान अगर खेल में देना है तो पहले हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले ध्यान चंद और महान शतरंज खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद जैसे खिलाड़ियों को मिलना चाहिए.

भूपेन हजारिका के परिवार ने सिटीजन अमेंडमेन्ट बिल के विरोध में 'भारत रत्न' लेने से किया इनकार