New Worries For Manipur पिछले कई महीनों से जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में अब उग्रवादी संगठनों की सक्रियता ने चिंता बढ़ा दी है. पिछले हफ्ते भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट कर्नल रमन त्यागी पर उस वक्त फायरिंग हुई थी जब आदिवासियों पर हमले की कोशिश कर रहे भीड़ को रोकने के लिए सेना और असम राइफल्स ने हस्तक्षेप किया था.


न्यूज एजेंसी पीटीआई ने बताया कि गोलीबारी की इस घटना की जांच के बाद यह सामने आया है कि भीड़ में शामिल उग्रवादियों ने सैन्य अधिकारी पर फायरिंग की थी. सुरक्षा एजेंसियों से बचने के लिए वे भीड़ का हिस्सा बने रहे. सुरक्षा अधिकारियों ने बताया है कि प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन जैसे यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (यूएनएलएस), पीपल सेलिब्रेशन आर्मी (पीएलए), कांगलेई यावोल कंबा लूप (केवाईकेएल) और पीपुल्स लिबरेशन पार्टी ऑफ कॉग्लेइपाक (प्रीपाक) के सदस्य हिंसा को भड़काने की घटनाओं में शामिल हो रहे हैं.  


अधिकारियों ने कहा कि हिंसा प्रभावित इस पूर्वोत्तर राज्य में यूएनएलएस के पास कैडर की संख्या 330 है. जबकि पीएलए के पास 300 और केवाईकेएल के पास 25 कैडर हैं. यह राज्य की आबादी में विभिन्न गुटों का हिस्सा बनकर हिंसक गतिविधियों को सक्रियता से अंजाम देने में शामिल रहे हैं.


उग्रवादी संगठनों में शामिल लोग हुए गिरफ्तार  


मणिपुर में सेना और असम राइफल्स ने बीते 24 जून को पूर्वी इंफाल से मोइरांगथेम तंबा उर्फ उत्तम को गिरफ्तार किया था जो खुद को केवाईकेएल का लेफ्टिनेंट कर्नल कहता है. इसके अलावा संगठन के 11 अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया गया था. उत्तम 2015 में 6 डोगरा रेजीमेंट पर घात लगाकर किए गए हमले के मास्टरमाइंड में से एक था. इस घटना में सेना के 18 जवान शहीद हुए थे.


जबरन वसूली और नशे के कारोबार में भी शामिल


इसी तरह से यूएनएफ उग्रवादी संगठन कारोबारियों से जबरन वसूली कर हिंसक गतिविधियों के लिए धन संग्रह करता है. जबकि पीएलए अपने गठन की शुरुआत से ही मणिपुर को स्वतंत्र घोषित करने के लिए हिंसक गतिविधियों को अंजाम देता रहा है. यह मणिपुर के मैती समुदाय का संगठन है जो स्वतंत्र मैती लैंड की स्थापना के लिए काम करने का दावा करता है. इसी तरह से केवाईएलए एक अन्य उग्रवादी संगठन है जो जबरन वसूली और नशे के कारोबार में शामिल रहा है. जबकि प्रीपाक नाम का उग्रवादी संगठन मणिपुर का अलगाववादी संगठन है. 


अब तक 160 लोग गंवा चुके हैं जान 


बता दें कि इस साल 3 मई को मणिपुर में पहला जातीय हंदशक संघर्ष हुआ था. तब से मणिपुर में समय-समय पर हिंसा की खबरें आ रही हैं. अब तक 160 लोग हिंसक संघर्ष की घटनाओं में जान कमा चुके हैं. यहां वैष्णव मैती समुदाय और इसाई कुकी समुदाय के बीच जातीय संघर्ष हो रहे हैं.


ये भी पढ़ें-


भारत को जी20 से क्या मिला? दिल्ली डिक्लेरेशन से लेकर जी21 तक, इन 5 प्वॉइंट्स में जानें