Manipur Violence News: मणिपुर में कट्टरपंथी मैतेई समूह अरामबाई टेंगोल के सदस्यों ने गुरुवार (27 फरवरी 2025) को प्रशासन को भारी संख्या में अपने हथियार सौंपे हैं. यह फैसला मणिपुर के राज्यपाल अजय भल्ला और अरामबाई टेंगोल के नेताओं की बैठक के बाद लिया गया. राज्यपाल अजय कुमार भल्ला ने लूटे गए और अवैध हथियारों को सरेंडर करने के लिए 7 दिन की समय सीमा दी थी जो आज खत्म हो गई. मणिपुर के अलग-अलग जिलों में लोग गाड़ियां भरकर हथियारों का जखीरा प्रशासन को सौंप रहे हैं.
सात दिनों के भीतर हथियार सौंपने के लिए कहा गया था
मणिपुर में इस समय राष्ट्रपति शासन लागू है. यहां लंबे समय बाद अब शांति की उम्मीद दिख रही है. राज्यपाल ने सभी समुदायों से अपील की थी कि वे अवैध हथियार और गोला-बारूद को सात दिनों के भीतर पुलिस या सुरक्षा बलों को सौंप दें. उन्होंने आश्वस्त किया था कि हथियार जमा करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं होगी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को भी कांगपोकपी, इम्फाल-पूर्व, बिष्णुपुर, थौबल, इम्फाल-पश्चिम और काकचिंग जिलों में पुलिस को भारी मात्रा में हथियार सौंपे गए थे. इनमें 12 कार्बाइन मशीन गन, राइफल्स और ग्रेनेड लॉन्चर जैसे घातक हथियार शामिल हैं. सबसे ज्यादा हथियार इम्फाल पश्चिम जिले से सौंपे गए थे.
राज्यपाल अजय भल्ला ने दिया था आश्वासन
अरामबाई टेंगोल के जनसंपर्क अधिकारी रॉबिन मंगांग ने कहा, "राज्यपाल अजय भल्ला ने हमसे अवैध रूप से रखे गए हथियारों को भी सौंपने का अनुरोध किया. हमने कुछ नियम और शर्तें रखीं और उन्हें आश्वासन दिया कि अगर वे शर्तें पूरी होती हैं तो हथियार सौंप दिए जाएंगे."
उन्होंने बताया कि राज्यपाल ने उन्हें आश्वासन दिया है कि कम समय में शांति बहाल की जाएगी और सरेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद मणिपुर में सभी नेशनल हाईवे को पहले की तरह फिर से खोल दिया जाएगा. मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच तनाव के बाद मई 2023 में हिंसा की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से राज्य में लगातार हिंसा जारी है.
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