नई दिल्ली: गृहमंत्री अमित शाह भले ही पूरे देश में एनआरसी लागू किए जाने की वकालत कर रहे हों लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि उनके राज्य में एनआरसी लागू करने का सवाल ही नहीं उठता. उन्होंने दो टूक कहा कि किसी भी कीमत पर पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं होगा. यह बात उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान कही.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल अभी गृहमंत्री से उनकी मुलाकात नहीं हुई है. उन्होंने समय मांगा है. मिलेगा तो उनसे बात करेंगी लेकिन एनआरसी पश्चिम बंगाल में लागू नहीं किया जाएगा. ममता के इस बयान के बाद एक बार फिर केंद्र और उनके बीच टकराहट की आहट दिखाई दे रही है.

ममता बनर्जी ढाई साल बाद आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने उनके सरकारी आवास पर गई थीं. इस दौरान करीब 40 मिनट तक प्रधानमंत्री मोदी और ममता बनर्जी के बीच बातचीत हुई. ममता ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि मुलाकात बहुत अच्छी रही. पश्चिम बंगाल का नाम बदलकर बांग्ला रखने का प्रस्ताव राज्य की असेंबली में पास हुआ है, जिसे केंद्र सरकार को भेजा गया है. प्रधानमंत्री से उन्होंने आग्रह किया कि इसे मान लिया जाए और पश्चिम बंगाल का नाम बांग्ला किया जाए. प्रधानमंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि इस पर विचार करेंगे.

इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने बताया कि पश्चिम बंगाल में देश के सबसे बड़े कोल ब्लॉक का उद्घाटन किया जाना है. उन्होंने नवरात्रि के बाद का समय प्रधानमंत्री से मांगा है. यदि वह समय देते हैं तो नवरात्रि के बाद कोल ब्लॉक का उद्घाटन किया जाएगा. इसमें 12000 करोड़ रुपये का निवेश होना है और लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा.

पत्रकारों से बातचीत के दौरान ममता बनर्जी राजनीतिक सवालों से बचती नजर आई. जब उनसे शारदा चिटफंड मामले और राजीव कुमार की गिरफ्तारी के मामले में बात करने का प्रयास किया गया तो उन्होंने इन सवालों को अनर्गल बताते हुए जवाब देने से इंकार कर दिया. यही नहीं अमित शाह द्वारा एबीपी न्यूज को एनआरसी पर दिए गए बयान पर पहले तो बचती रहीं लेकिन बाद में दो टूक शब्दों में साफ कर दिया कि पश्चिम बंगाल में एनआरसी लागू नहीं किया जाएगा. बीजेपी कार्यकर्ताओं के पिंडदान पर भी उन्होंने जवाब देने से मना कर दिया.

बता दें कि केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार में पिछले ढाई सालों से या यूं कहें कि 2014 से ही टकराहट तेज है. पिछले एक साल में इसमें और तेजी आई है. अब पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को मुख्य विपक्षी दल के रूप में देखा जा रहा है. लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल में बीजेपी को 19 सीटें मिली हैं. इसके बाद से बीजेपी को लग रहा है कि वह पश्चिम बंगाल में भी सरकार बना सकती है. यही वजह है कि ममता बनर्जी और बीजेपी में टकराहट बढ़ती जा रही है.