पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की चीफ ममता बनर्जी ने नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (एनआरसी) को लेकर फिर विरोध किया है. बिना नाम लिए उन्होंने केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को घेरते हुए दावा किया कि वे लोग नॉर्थ ईस्ट के सूबे असम की तरह पश्चिम बंगाल में भी एनआरसी लाना चाहते हैं...मैं अपना खून दे दूंगी मगर एनआरसी लागू नहीं होने दूंगी. हम उन लोगों को यहां पर डिटेंशन सेंटर भी नहीं बनाने देंगे. 


ममता बनर्जी लंबे वक्त से NRC और CAA का विरोध करती रही हैं. ममता ने सोमवार को एक बार फिर इस मुद्दे पर बीजेपी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार पर निशाना साधा. इसके साथ ही ममता ने साफ संकेत दे दिया कि आने वाले लोकसभा चुनाव में वे बंगाल में इस मुद्दे को खूब जोर शोर से उठाएंगी. पश्चिम बंगाल में करीब 28% अल्पसंख्यक वोट हैं. वहीं, एससी, एसटी और ओबीसी की कुल आबादी 46% है.  


इससे पहले ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर राज्य में आधार कार्ड के अचानक डीएक्टिवेट होने का मुद्दा उठाया. उन्होंने पीएम से राज्य में आधार कार्ड के अचानक डीएक्टिवेट होने की वजह पूछी.ममता ने कहा कि इस कदम से बंगाल में लोगों के बीच हाहाकार मच गया है.  उन्होंने कहा कि इस तरह आधार कार्ड के डीएक्टिवेट करने की कवायद नियमों के खिलाफ है और प्राकृतिक न्याय का घोर उल्लंघन है. 

UIDAI ने कहा- कोई आधार डीएक्टिवेट नहीं हुआ


हालांकि, आधार कार्ड जारी करने वाली संस्था भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने इन दावों को खारिज कर दिया. UIDAI ने कहा कि आधार डेटाबेस को अपडेट रखने के लिए आधारकार्ड धारकों को समय-समय पर सूचना जारी की जाती है, लेकिन किसी भी नंबर को रद्द नहीं किया गया है. 


 UIDAI ने अपनी वेबसाइट पर कहा कि आधार डेटाबेस की सटीकता बनाए रखने के लिए प्राधिकरण ने दस्तावेजों और आधार जानकारी को अपडेट करने की कवायद शुरू की है. इसने कहा कि यदि किसी आधार कार्डधारक को कोई शिकायत है तो वे यूआईडीएआई से संपर्क कर सकते हैं.