Maharashtra Politics CM Governor Conflict: महाराष्ट्र में बड़े सियासी बदलाव के साथ उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackrey) ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. सियासी संकट के दौरान राज्यपाल और पार्टी नेताओं के बीच तकरार जैसी स्थिति भी बनी. राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) ने जब उद्धव ठाकरे को फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया तो शिवसेना के नेता के तेवर कड़े हो गए. हालांकि पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी लेकिन फ्लोर टेस्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें कोई राहत नहीं मिली. बुधवार को पार्टी के नेता संजय राउत भी भड़क उठे थे. उन्होंने राज्यपाल के फैसले को असंवैधानिक तक करार दिया था. 


दरअसल, महाराष्ट्र के राज्यपाल ने बुधवार 29 जून को कहा था कि उद्धव सरकार गुरुवार सुबह 11 बजे फ्लोर टेस्ट का सामना करें, जिसके बाद शिवसेना के नेता संजय राउत ने कहा था कि संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. खुद सीएम ने भी इस फैसले को लेकर अप्रत्यक्ष तौर पर नाराजगी जताई थी.


कई मौकों पर सरकार और गवर्नर में दिखी तल्खी


अक्सर ऐसा देखा गया है कि बीजेपी शासित राज्यों के राज्यपालों के अपनी सरकारों के साथ मधुर संबंध तो हैं लेकिन जहां कहीं भी गैर बीजेपी की सरकार है ज्यादातर मामलों में वहां सरकार और गवर्नर में मतभेद रहे हैं. महाराष्ट्र की स्थिति भी ठीक वैसी ही रही. सियासी संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने प्रदेश के विधानसभा सचिव को चिट्ठी लिखकर कहा था कि राज्य में मौजूदा स्थिति ठीक नहीं है. सुप्रीम कोर्ट से भी उद्धव ठाकरे  को झटका लगा. शिवसेना के नेता और संजय राउत ने इस बीच राज्यपाल पर तंज कसते हुए कहा था कि गवर्नर जेट की स्पीड से भी ज्यादा तेज हैं. राफेल भी उनसे तेज नहीं हो सकता है.


जब हुई थी महिलाओं की सुरक्षा पर विशेष सत्र की मांग


महाराष्ट्र में उद्धव सरकार और गवर्नर के बीच तल्खी उस वक्त भी दिखी थी जब प्रदेश में रेप और हत्या की घटना हुई थी. बीजेपी ने महिलाओं की सुरक्षा पर चर्चा के लिए विधानसभा के विशेष सत्र की मांग की थी. इसके बाद राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाने को कहा था. इसी पर उद्धव ठाकरे ने कोश्यारी को एक जवाब भेजा जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार को संसद का चार दिवसीय विशेष सत्र बुलाने के लिए महिला सुरक्षा और सुरक्षा पर चर्चा करने के लिए एक पत्र लिखने का अनुरोध किया. उद्धव सरकार का कहना था कि ये राष्ट्रीय मुद्दा है किसी विशेष राज्य तक सीमित नहीं है.


2019 में महाराष्ट्र चुनाव के बाद भी दिखी थी तल्खी


साल 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद राज्यपाल कोश्यारी ने बीजेपी विधायक दल के नेता देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया, भले ही उनके पास बहुमत का दावा करने के लिए अन्य दलों से समर्थन का कोई पत्र नहीं था. बहुमत साबित नहीं कर पाने के कारण फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा था. महा विकास अघाड़ी (MVA) सरकार बनने के तुरंत बाद, राज्य मंत्रिमंडल ने उद्धव ठाकरे को विधान परिषद में नामित करने का फैसला किया था लेकिन राज्यपाल कोश्यारी ने महीनों तक कैबिनेट के फैसले को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. एक वक्त ऐसा आया जब लगा कि 6 महीने बीत जाएंगे और ठाकरे को इस्तीफा देना होगा. राज्यपाल पर आरोप लगाए गए कि बीजेपी के साथ गठबंधन में लौटने को मजबूर करने के लिए ऐसा किया गया था.


आखिर देना पड़ा ठाकरे को इस्तीफा


महाराष्ट्र में 2019 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले शायद ही किसी ने सोचा होगा कि शिवसेना (Shiv Sena) के नेता उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackrey) अपने पुराने सहयोगियों से दूरी बनाकर विपक्षी दल कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाने का साहस दिखाएंगे. ठाकरे ने दोनों दलों के समर्थन से न सिर्फ सरकार बनाई बल्कि मुख्यमंत्री भी बने लेकिन ढाई वर्ष बाद उनकी सरकार पर संकट के बादल तब छा गए जब सहयोगियों ने नहीं बल्कि उनकी अपनी पार्टी के विधायकों ने ही बगावत कर दी. बड़ी संख्या में विधायक बागी नेता एकनाथ शिंदे के साथ हो लिए और संकट इतना गहरा गया कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री पद से बुधवार को इस्तीफा देना पड़ा.


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