PFI Training Centre: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने रविवार (16 अप्रैल) को महाराष्ट्र के पुणे में एक स्कूल की इमारत की दो मंजिलों को कुर्क कर दिया. एनआईए के मुताबिक, इस स्कूल की इमारत में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और उन्हें प्रेरित करने के लिए शिविर आयोजित कर रहा था और एक समुदाय विशेष के नेताओं और संगठनों पर हमले और टारगेट किलिंग को अंजाम देने के लिए उन्हें प्रशिक्षित कर रहा था.
ब्लू बेल स्कूल बिल्डिंग की चौथी और पांचवीं मंजिल का इस्तेमाल पीएफआई ने भारत की एकता, अखंडता और सुरक्षा को खतरे में डालने के उद्देश्य से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने की योजना बनाने के लिए किया था. पीएफआई इन परिसरों में निर्दोष मुस्लिम युवकों को संगठन में भर्ती कर रहा था और उन्हें 2047 तक देश में इस्लामिक शासन की स्थापना का विरोध करने वालों को खत्म करने/हमला करने के लिए सशस्त्र और निहत्थे प्रशिक्षण भी प्रदान कर रहा था.
पीएफआई ने बेगुनाह युवाओं को भड़काने का किया काम
एनएआईए ने बताया कि एजेंसी की 13 अप्रैल 2022 को दर्ज एफआईआर मामले में यूए (पी) अधिनियम, 1967 के प्रावधानों के तहत एनआईए ने 'आतंकवाद की ट्रेनिंग का हिस्सा' के रूप में दो मंजिलों को अटैच किया था. 18 मार्च 2023 को एनआईए की विशेष अदालत ने दिल्ली में पीएफआई सहित 20 अभियुक्तों के खिलाफ एक संगठन के रूप में चार्जशीट दायर की थी.
एनआईए ने पिछले साल 22 सितंबर को स्कूल परिसर की दो मंजिलों की तलाशी ली थी. एजेंसी ने आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए थे, जिनसे पता चला था कि उक्त संपत्ति का इस्तेमाल अपने कैडरों के लिए शस्त्र प्रशिक्षण आयोजित करने के लिए आरोपियों ने किया था. इन्हें पीएफआई से जुड़ा पाया गया था. प्रशिक्षण शिविरों में निर्दोष मुस्लिम युवाओं को सरकार, साथ ही एक विशेष समुदाय के नेताओं और संगठनों के खिलाफ भड़काने के लिए एक मंच भी दिया गया. इसका उपयोग उनके जुनून को भड़काने और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के उद्देश्य से हिंसक जिहाद को अपनाने के लिए उकसाने के लिए भी किया जाता था.
खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग
भारत में इस्लामिक शासन स्थापित करने की संगठन की विचारधारा का विरोध करने वाले प्रमुख नेताओं पर हमला करने और उनकी हत्या करने के लिए नए भर्ती किए गए. पीएफआई कैडरों को खतरनाक हथियारों के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया गया था.
पिछले साल पीएफआई पर लगा था बैन
एनआईए की जांच से पहले पता चला था कि आरोपी देश के खिलाफ युद्ध छेड़कर और लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को गिराकर भारत में खिलाफत और इस्लामिक शासन स्थापित करने की आपराधिक साजिश का हिस्सा थे. उन सभी की पहचान पीएफआई के वरिष्ठ संवर्गों/ एनईसी सदस्यों/लेखाकारों/ पीएफआई के बैंक खातों के अधिकृत हस्ताक्षर कर्ताओं के रूप में की गई थी. मामले में अन्य आरोपी व्यक्तियों/संदिग्धों की भूमिका का पता लगाने के लिए आगे की जांच की जा रही है. एनआईए पीएफआई की गतिविधियों की जांच कर रही है, जिसे सितंबर 2022 में 'गैरकानूनी संघ' घोषित किया गया था.
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