Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में शरद पवार और अजित पवार की लड़ाई जारी है. इस बीच दोनों नेताओं ने मुंबई में शक्ति प्रदर्शन के लिए बैठकें की. इस बैठक के बाद साफ हो गया कि अजित पवार अपने चाचा शरद पवार की तुलना में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अधिक विधायकों का समर्थन होने से संख्या के इस खेल में उनसे आगे नजर आ रहे हैं.
इसके बाद पार्टी पर नियंत्रण हासिल करने के लिए उनके बीच लड़ाई और तेज हो गई. पार्टी के दोनों गुटों के सूत्रों ने बताया कि अजित पवार गुट की तरफ से बुलाई गई बैठक में एनसीपी के 53 में से 32 विधायक शामिल हुए, जबकि एनसीपी प्रमुख की तरफ से आयोजित बैठक में 18 विधायक उपस्थित थे. शेष बचे 3 विधायकों का रुख साफ नहीं है.
शरद पवार के साथ कौन-कौन? 1. किरण लहामाटे, अकोले2. अशोक पवार, शिरूर-हवेली3. रोहित पवार, कर्जत-जामखेड4. चेतन तुपे, हडपसर5. अनिल देशमुख, काटोल6. राजेंद्र शिंगणे, सिंदखेडराजा7. प्राजक्त तनपुरे, राहुरी8. जितेंद्र आव्हाड, कळवा मुंब्रा9. बाळासाहेब पाटील, कराड उत्तर10. जयंत पाटील, इस्लामपूर11. सुमन आर आर पाटील, तासगाव-कवठे महांकाळ12. संदीप क्षीरसागर, बीड13. राजेश टोपे, घनसावंगी14. सुनिल भुसारा, विक्रमगड15. मकरंद पाटील, वाई16. मानसिंग नाईक, शिराळा
अजित पवार के साथ के विधायक 1. छगन भुजबळ, येवला2. धर्मरावबाबा आत्राम, अहेरी3. माणिकराव कोकाटे, सिन्नर4. मनोहर चंद्रिकापुरे, अर्जुनी मोरगाव5. अण्णा बनसोडे, पिंपरी6. अजित पवार, बारामती7. दिलीपवळसे पाटील, आंबेगाव8. संग्राम जगताप, अहमदनगर शहर9. दत्ता भरणे, इंदापूर10. संजय बनसोडे, उद्गीर11. अदिती तटकरे, श्रीवर्धन12. नरहरी झिरवळ, दिंडोरी12. दिलीप मोहिते, खेड-आळंदी13. निलेश लंके, पारनेर14. हसन मुश्रीफ, कागल15. अनिल पाटील, अंमळनेर16. धनंजय मुंडे, परळी17. प्रकाश सोळंके, माजलगाव19. बाबासाहेब पाटील, अहमदपूर20. बाळासाहेब आजबे, आष्टी21. सुनिल शेळके, मावळ22. अतुल बेनके, जुन्नर23. राजू कारेमोरे, तुमसर24. दिलीप बनकर, निफाड25. नितिन पवार,कळवण26. इंद्रनील नाईक, पुसद27. शेखर निकम, चिपळूण28. सुनिल टिंगरे, वडगाव शेरी29. यशवंत माने, मोहोळ30. दीपक चव्हाण, फलटण31. राजेश पाटील, चंदगड 32. बबन शिंदे, माढा (हॉस्पिटलला आहेत)
जिनका रुख अभी साफ नहीं है 1. सरोज अहिरे, देवळाली2. नवाब मलिक, अणुशक्तीनगर3. आशुतोष काळे, कोपरगाव
क्या कहता है दल-बदल कानून?ऐसे में दोनों गुटों की बैठक के बाद यह लड़ाई कई पहलुओं में फंसती नजर आ रही है. पार्टी किसकी होगी, क्या मामला कोर्ट जाएगा. दल बदल कानून के मुताबिक, किसी दल के विधायकों को उस स्थिति में दल बदल कानून का सामना नहीं करना पड़ेगा जोकि 10 से अधिक संख्या में पार्टी छोड़ते हैं. वहीं किसी दल में सियासी बगावत होने की स्थिति में उस दल का चिह्न और नाम उस गुट को दिया जाएगा जिसके पास 2/3 सदस्यों का बुहुमत होगा. ऐसे में अजित पवार का एनसीपी पर दावा खतरे में नजर आ रहा है. अजित पवार को समर्थन में 37 विधायक की जरूरत है.
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