मुंबई: भीमा कोरेगांव केस में आरोपी गौतम नवलखा को लेकर महाराष्ट्र सरकार ने बम्बे हाईकोर्ट में बड़ा दावा किया है. महाराष्ट्र सरकार के वकील ने कहा है कि गौतम नवलखा का संबंधन पाकिस्तानी आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन से है. बता दें कि गौतम नवलखा ने अपने ऊपर दर्ज एफआईआर रद्द करवाने के लिए हाई कोर्ट का रुख किया. इसी केस की सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार की वकील अरुणा पाई ने यह दावा किया.


सरकारी वकील अरुणा पाई ने कोर्ट में बताया कि इस केस के सह आरोपी रोना विल्सन और सुरेंद्र गडलिंग के लैपटॉप से जो दस्तावेज बरामद किए गए हैं उसमें गौतम नवलखा जिस नक्सली समूह से जुड़ा है, उसके पाकिस्तानी स्थित हिजबुल नेताओं से द्विपक्षीय बातचीत के सबूत मिले है. अरुणा पाई ने कोर्ट में बताया कि आरोपी गौतम नवलखा साल 2011 से प्रतिबंधित आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन के साथ लायजनिंग का काम कर रहा था. सरकारी वकील ने यह भी दावा किया कि साल 2011 से साल 2014 तक नवलखा, कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी और शकील बक्शी के संपर्क में था.


बॉम्बे हाई कोर्ट की डिवीज़न बेंच के न्यायधीश रंजीत मोरे और भारती डोंगरे ने फिलहाल गिरफ्तारी से मिली अंतरिम राहत बढ़ा दी है. गौतम नवलखा और अन्य एक्टिविस्ट पर प्रतिबंधित नक्सल समूह से संबंध के आरोप है. गौतम नवलखा को UAPA एक्ट और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था . 5 जुलाई को बॉम्बे हाई कोर्ट ने सुनवाई में गौतम नवलखा को गिरफ्तारी से 23 जुलाई तक अंतरिम राहत दी थी.


गौतम नवलखा के वकील युग चौधरी ने सभी आरोप बेबुनियाद बताए है. इस मामले की सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी. पुणे पुलिस के मुताबिक 31 दिसंबर 2017 के दिन पुणे में यलगार परिषद के आयोजन किया गया था जिसके दूसरे दिन भीमा कोरेगाव वॉर मेमोरियल के नजदीक हिंसा हुई थी. जांच में खुलासा हुआ था कि यलगार परिषद को नक्सलियों का समर्थन हासिल था और हिंसा योजना के तहत हुई थी.