Maharashtra Cooperative Societies Act: महाराष्ट्र की एकनाथ शिंदे-देवेंद्र फडणवीस ने आगामी लोकसभा चुनाव 2024 से पहले 'महाविकास अघाड़ी' को जोरदार झटका दिया है. दरअसल, शिंदे सरकार ने उद्धव ठाकरे की सरकार के फैसले को पलटकर, सहकारी समितियों में केवल सक्रिय सदस्यों को मतदान करने का अधिकार दे दिया है.


इस फैसले से शिंदे-फडणवीस सरकार ने शरद पवार सहित कांग्रेस और शिवसेना (UBT) को भी चुनाव पूर्व बड़ा झटका दिया है. सरकार के इस फैसले का असर महाराष्ट्र की राजनीति में कितना बड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शरद पवार ने खुद सीएम से इस मामले पर देर रात (1 जून) मुलाकात की है.


नियमों में ही फेरबदल


सरकार के इस फैसले से अब महाराष्ट्र की राजनीति में नया ट्विस्ट आ गया है, क्योंकि सरकार ने सहकारिता विभाग के नियमों में ही फेरबदल कर दिया है. शिंदे-फडणवीस सरकार चाहती है कि सहकारी चीनी कारखानों, डेयरियों और कृषि ऋण समितियों में अब वही सदस्य वोट करें जो पिछले पांच सालों में सक्रिय रहे हों. ऐसे में मार्केट कमिटी में बने हुए निष्क्रिय सदस्य का वोट करने का अधिकार छिन गया है.


चुनावी फायदा उठाने के लिए रखे जाते थे वोटर


हालांकि, को-ऑपरेटिव एक्ट 1960 में किए बदलाव में हाउसिंग सोसाइटी, कमर्शियल प्रिमाइसेस को दूर रखा गया है. दरअसल, जानकार मानते हैं कि कई सहकारिता संस्थाओं में वोटरों के नाम चुनावी फायदा उठाने के लिए रखे जाते थे, जिनका सहकारिता क्षेत्र से रोजाना कोई संबंध नहीं होता था. सहकारिता क्षेत्र पर शरद पवार की मजबूत पकड़ है. महाराष्ट्र में शरद पवार की पकड़ को कमजोर करने के लिए चला गया यह दांव एनसीपी तो बड़ा झटका दे सकता है.


सहकारिता क्षेत्र में 5 करोड़ 70 लाख के करीब सदस्य


महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र में कुल 5 करोड़ 70 लाख के करीब सदस्य है. ग्रामीण महाराष्ट्र में सहकारिता क्षेत्र सदस्यों का लोकसभा और विधानसभा चुनाव में किरदार काफी अहम होता है. यह भी एक सच्चाई है कि ग्रामीण महाराष्ट्र में अधिकतर चीनी मिले, डेयरी,को-आपरेटिव बैंक पर कांग्रेस एनसीपी का कब्जा है. ऐसे में शिंदे सरकार के फैसले से विचलित शरद पवार ने गुरुवार की देर रात सीधे मुख्यमंत्री शिंदे के घर जाकर मुलाकात की. पवार के इस तरह मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचने पर सियासी हलचल भी तेज हो गई.


महाराष्ट्र के कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने शिंदे सरकार के इस फैसले को नजरअंदाज करते हुए कहा कि ऐसे निर्णयों से चुनाव के परिणाम नहीं बदले जाते हैं. जनता बीजेपी से ऊब चुकी है. महाराष्ट्र में स्थानीय इकाई के चुनाव प्रलंबित है और ऐसे में लोकसभा चुनाव की तारीख पास आ रही है.


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