काम पूरा होने पर तुरंत भुगतान के संबंध में पैगंबर मोहम्मद के प्रसिद्ध कथन का हवाला देते हुए जज जीआर स्वामीनाथन ने मदुरै नगर निगम को अपने पूर्व वकील की बकाया फीस का भुगतान करने का निर्देश दिया है. मदुरै बेंच के जज स्वामीनाथन ने अदालत में एक बार पेश होने के लिए भारी फीस लेने वाले वकीलों को नियुक्त करने की प्रथा की कड़ी निंदा की. 

Continues below advertisement

उन्होंने एक ऐसे मामले का हवाला दिया जिसमें एक वरिष्ठ वकील को प्रति पेशी 4 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय, जो यह दलील दे रहा है कि उसकी वित्तीय स्थिति ऐसी है कि वो अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों का बकाया भुगतान करने में असमर्थ है तो वो अपने वकीलों को इतनी ज्यादा फीस कैसे दे रहा है. 

पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने टिप्पणी की कि अतिरिक्त एडवोकेट जनरल उन छोटे-मोटे मामलों में भी पेश होते हैं, जहां उनकी उपस्थिति की वास्तव में आवश्यकता नहीं होती और जिन्हें सरकारी वकील के तौर पर अनुभवहीन व्यक्ति भी संभाल सकता है. यह सब कुछ पैसों के लिए होता है. उन्होंने कहा कि लॉ अधिकारियों को दी जाने वाली फीस के संबंध में ऑडिट करने का समय आ गया है. 

Continues below advertisement

निगम के पूर्व स्थायी वकील ने दायर की थी याचिका

नगर निगम के पूर्व स्थायी वकील पी. थिरुमलई ने कई मामलों में नगर निगम का प्रतिनिधित्व करने के लिए 13.05 लाख रुपये की फीस का भुगतान मदुरै निगम को करने का निर्देश देने की मांग की थी. जज स्वामीनाथन ने 19 दिसंबर के अपने आदेश में कहा, 'कर्मचारी को उसकी मेहनत का फल उसके पसीने के सूखने से पहले ही दे दो.' यह निर्देश पैगंबर मोहम्मद से संबंधित है.

क्या है पूरा मामला

याचिकाकर्ता 1992 से 2006 तक 14 वर्षों से अधिक समय तक मदुरै नगर निगम के स्थायी वकील रहे. उन्होंने मदुरै जिला न्यायालयों में निगम का प्रतिनिधित्व किया था. उनकी शिकायत यह थी कि निगम ने उनकी फीस का भुगतान नहीं किया. इसलिए उन्होंने भुगतान की मांग करते हुए 2006 में एक याचिका दायर की. याचिकाकर्ता के अनुसार निगम को उन्हें 14.07 लाख रुपये का भुगतान करना था, लेकिन उसने केवल 1.02 लाख रुपये का भुगतान किया है और 13.05 लाख रुपये अभी भी बाकी हैं. याचिकाकर्ता 818 मामलों में पेश हुए और उनकी आर्थिक स्थिति खराब थी. 

इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने मदुरै जिला न्यायालय से संबद्ध विधि सेवा प्राधिकरण को मामलों की सूची सत्यापित करने, प्रमाणित प्रतियां प्राप्त करने और याचिकाकर्ता को दो महीने के भीतर उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. निगम को बिना ब्याज के अगले दो महीनों के भीतर बिलों का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है. 

ये भी पढ़ें

दिल्ली, यूपी से लेकर बिहार तक... उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड, घने कोहरे ने बढ़ाई आफत, जानें IMD का अलर्ट