मद्रास हाई कोर्ट ने बुधवार (10 सितंबर, 2025) को उस जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दिया है, जिसमें चुनाव आयोग को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह 2024 के आम चुनावों में मतदाता सूची में कथित बड़े पैमाने पर गड़बड़ी पर स्पष्टीकरण दे. यह आरोप कांग्रेस सांसद और विपक्ष के नेता राहुल गांधी और भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने अपनी-अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए थे.

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ECI को पक्ष रखने के लिए नहीं दिया जा सकता निर्देश: HC

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिका पूरी तरह भ्रामक और आधारहीन है. अदालत ने साफ किया कि इसमें ठोस प्रमाण और ठोस सामग्री का अभाव है और यह केवल आरोप-प्रत्यारोप पर आधारित है. अदालत ने यह भी माना कि इस तरह की याचिका अस्पष्ट है और पर्याप्त तथ्य और विवरण के बिना दायर की गई है, इसलिए चुनाव आयोग (ECI) को अपना पक्ष स्पष्ट करने का निर्देश नहीं दिया जा सकता है. इसके अलावा, कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि यह राशि तमिलनाडु राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को जमा कराई जाए.

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विपक्ष लगातार ECI पर वोट चोरी के लगा रहा आरोप

अदालत ने यह भी साफ किया कि उसने इस मामले में केस के मेरिट्स पर कोई राय नहीं दी है और चुनाव आयोग (ECI) स्वतंत्र रूप से इस पर अपना निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है. उधर, विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि 2024 के चुनावों में मतदाता सूची से छेड़छाड़ कर वोट चोरी की गई है. राहुल गांधी ने हाल ही में अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तृत प्रेजेंटेशन देकर इस मुद्दे को उठाया, जबकि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल चुनाव आयोग (ECI) से पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर, सत्तारूढ़ दल इसे विपक्ष की हार का बहाना बताते हुए आरोपों को नकार रहा है.

ECI पर सवाल उठाना संस्थाओं की कमजोर करने की कोशिश- भाजपा

राजनीतिक गलियारों में इस मुद्दे पर तीखी बहस छिड़ी हुई है. विपक्ष इसे लोकतंत्र पर हमला करार दे रहा है, जबकि भाजपा का कहना है कि चुनाव आयोग की साख पर सवाल उठाना संस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश है, यानी ये एक ऐसा मुद्दा है जिस पर देश में जमकर राजनीति हो रही है और आगामी विधानसभा चुनाव में भी एक बड़ा मुद्दा बना रहेगा.

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