नई दिल्ली: भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बागी नेता यशवंत सिन्हा और आरएसएस के पूर्व नेता गोविंदाचार्य किसानों/भूमिहीनों के मुद्दे पर मोदी सरकार को परेशानी में डाल सकते हैं. चुनावी राज्य मध्य प्रदेश के ग्वालियर से भूमि अधिकार की मांग को लेकर करीब 25 हजार (दावे) भूमिहीन सत्याग्रही गुरुवार को दिल्ली की ओर कूच कर गए.
भूमिहीनों के मार्च में बीजेपी के पूर्व नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, चिंतक और विचारक गोविंदाचार्य के अलावा एकता परिषद के संस्थापक पी.वी. राजगोपाल, गांधीवादी सुब्बा राव सहित अनेक प्रमुख लोग शामिल हुए. सत्याग्रह का समर्थन करने 6 अक्टूबर को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी मुरैना पहुंचने वाले हैं.
मध्य प्रदेश में अगले कुछ महीनों में चुनाव की संभावना है. ऐसे में किसानों/भूमिहीनों का आंदोलन बीजेपी के मुश्किलें खड़ी कर सकता है. बीजेपी शासित मध्य प्रदेश मंदसौर किसान आंदोलन का गवाह रहा है. जहां पुलिस की गोली से कई किसानों की मौत हो गई थी.
आगरा-मुंबई मार्ग पर बढ़ते सत्याग्रही के हाथ में झंडा और कंधे पर थैला टंगा हुआ है, उनमें अपना हक पाने का जज्बा साफ पढ़ा सकता है. पहले दिन सत्याग्रही 19 किलोमीटर चले और मुरैना जिले की सीमा में पहुंच गए. देशभर के भूमिहीन गांधी जयंती पर मेला मैदान में जमा हुए थे और दो दिन तक वहीं डेरा डाले रहे. उसके बाद गुरुवार को उन्होंने दिल्ली की ओर रुख किया.
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एकता परिषद और सहयोगी संगठनों के आह्वान पर हजारों भूमिहीनों ने जनांदोलन-2018 पांच सूत्रीय मांगों को लेकर शुरू किया है. उनकी मांग है कि आवासीय कृषिभूमि अधिकार कानून, महिला कृषक हकदारी कानून (बूमन फॉर्मर राइट एक्ट), जमीन के लंबित प्रकरणों के निराकरण के लिए न्यायालयों का गठन किया जाए, राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति की घोषणा और उसका क्रियान्वयन, वनाधिकार कानून 2006 व पंचायत अधिनियम 1996 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए राष्ट्रीय और राज्यस्तर पर निगरानी समिति बनाई जाए.
एकता परिषद की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, पहले दिन सत्याग्रही 19 किलोमीटर चले और यात्रा मुरैना जिले में सुसेराकोठी और बुरवां गांव के बीच पहुंच गई है. यशवंत सिन्हा सरकार की नीतियों पर हमलावर हुए, उन्होंने गुरुवार को यहां भी सरकार की कार्यशैली और उसके उद्योगपति-परस्त होने को लेकर हमला बोला. इन आंदोलन से आने वाले दिनों में राज्य और केंद्र सरकार की मुसीबतें बढ़ सकती हैं.
पिछले दिनों हरिद्वार से हजारों किसान दिल्ली पहुंचे थे. इसका नेतृत्व भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) ने किया था. किसानों को दिन में दिल्ली-यूपी बॉर्डर पर गाजीपुर में पुलिस ने रोक दिया था और आंसू गैस के गोले छोड़े थे और लाठीचार्ज किया था. बाद में रात को किसानों को दिल्ली में घुसने की अनुमति मिली.
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अगले दिन मोदी सरकार ने किसानों को राहत देते हुए फसल वर्ष 2018-19 (जुलाई-जून) के लिए अधिसूचित रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की घोषणा की. गेहूं, चना, सरसों समेत अधिसूचित छह रबी फसलों की एमएसपी में वृद्धि की गई है. सरकार ने गेहूं की एमएसपी पिछले साल के मुकाबले 105 रुपये बढ़ाकर 1,840 रुपये प्रति कुंटल कर दी. वहीं, रबी सीजन की प्रमुख दलहन फसल चना के लिए एमएसपी 4,400 रुपये से बढ़ाकर 4,620 रुपये प्रति कुंटल कर दी.