सीबीआई ने हिरासत में युवक की मौत मामले में लंबे अरसे से फरार चल रहे 2 पुलिस अधिकारियों की गिरफ्तारी की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को दी है. कोर्ट ने कहा कि उसने यह आदेश 15 मई को दिया था. अब उसकी कड़ी टिप्पणियों के बाद यह गिरफ्तारी हुई है. ऐसे में सीबीआई इस देरी पर सफाई दे. मध्य प्रदेश सरकार भी बताए कि उसने इन अधिकारियों पर क्या विभागीय कार्रवाई की है. 6 नवंबर को मामले पर आगे सुनवाई होगी.
देवा पारधी नाम के युवक की हत्या का मामला मध्य प्रदेश के गुना ज़िले के म्याना थाने का है. पिछले साल 14 जुलाई को देवा को चोरी के आरोप में हिरासत में लिया गया था. उसके साथ उसके चाचा गंगाराम को भी पुलिस ने हिरासत में लिया था. आरोप है कि हिरासत में की गई पिटाई के चलते 24 साल के देवा ने दम तोड़ दिया.
मजिस्ट्रेट जांच में आरोपों की पुष्टि
मजिस्ट्रेट जांच में आरोपों की प्रारंभिक पुष्टि होने के बाद एफआईआर दर्ज हुई, लेकिन कार्रवाई ढीले-ढाले तरीके से आगे बढ़ाई गई. एफआईआर में मामले में शामिल पुलिस वालों के नाम भी पूरी तरह से नहीं लिखे गए. थाना प्रभारी इंस्पेक्टर संजीत मावई और उमरी चौकी प्रभारी सब-इंस्पेक्टर उत्तम सिंह कुशवाहा को न निलंबित किया गया, न गिरफ्तार.
सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
देवा की मां अंसुरा बाई ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. 29 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी का आदेश दिया. 15 मई को मामला सीबीआई को सौंप दिया गया. सीबीआई ने घटना में शामिल होने के आरोपी इंस्पेक्टर जुबेर खान, सब-इंस्पेक्टर देवराज सिंह परिहार समेत कुछ लोगों को गिरफ्तार किया. लेकिन मावई और कुशवाहा अब तक फरार थे.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न होने का आरोप
अंसुरा बाई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन न होने का आरोप लगाते हुए अवमानना याचिका दाखिल की है. 26 सितंबर को हुई सुनवाई में सीबीआई ने बताया कि उसने मावई और कुशवाहा की गिरफ्तारी पर 2-2 लाख का ईनाम घोषित किया है. जस्टिस बी वी नागरत्ना और आर महादेवन की बेंच ने सीबीआई और मध्य प्रदेश सरकार के जवाब पर असंतोष जताते हुए उन्हें 7 अक्टूबर तक का समय दिया था. कोर्ट ने कहा था कि इसके बाद राज्य के डीजीपी और सीबीआई के डायरेक्टर को व्यक्तिगत रूप से तलब किया जा सकता है.
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